???? राजमाता विजया राजे सिंधिया: सेवा, संस्कार और संकल्प की प्रतीक

✍️ विशेष लेख | संथाल हूल एक्सप्रेस


???? परिचय: जनसेवा और त्याग की प्रतिमूर्ति

भारत की राजनीति और समाजसेवा के इतिहास में यदि किसी महिला ने राजसी वैभव को जनसेवा के मार्ग में रूपांतरित किया, तो वह थीं — राजमाता विजया राजे सिंधिया जी।
त्याग, सादगी, राष्ट्रनिष्ठा और मातृभाव की मूर्ति रही राजमाता ने अपने जीवन को भारत माता की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
उनका पूरा जीवन इस संदेश का प्रतीक था कि “राजसत्ता का असली अर्थ है जनकल्याण।”


????️ प्रारंभिक जीवन और संस्कार

राजमाता विजया राजे सिंधिया जी का जन्म 12 अक्टूबर 1919 को सागर (मध्य प्रदेश) में हुआ था।
उनका नाम जन्म के समय लेखावराजे अमृता देवी रखा गया था।
शिक्षा के दौरान ही उनमें राष्ट्रप्रेम, धर्म और संस्कृति के प्रति गहरी आस्था विकसित हुई।
1941 में उनका विवाह ग्वालियर के महाराज जीवाजीराव सिंधिया से हुआ।
लेकिन स्वतंत्रता के बाद जब राजघराने खत्म हुए, तो उन्होंने सत्ता नहीं, सेवा का मार्ग चुना।


???????? स्वतंत्र भारत में राजनीतिक योगदान

राजमाता विजया राजे सिंधिया ने अपने राजसी जीवन से बाहर निकलकर भारत के लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया।
वे भारतीय जनसंघ से जुड़ीं और बाद में भारतीय जनता पार्टी के गठन में उनकी भूमिका निर्णायक रही।
उन्हें भारतीय राजनीति की “लोहे की महिला” कहा जाता था — जिनके निर्णय राष्ट्रहित से प्रेरित होते थे, न कि व्यक्तिगत स्वार्थ से।

उनका जीवन संदेश था —

“राजनीति जनसेवा का माध्यम है, पद और सत्ता का साधन नहीं।”

वे चार बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहीं।
उन्होंने हमेशा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के लिए आवाज़ उठाई।


???? सादगी में शक्ति, सेवा में श्रद्धा

राजमाता अपने साधारण जीवन और असाधारण समर्पण के लिए जानी जाती थीं।
उन्होंने राजमहलों की विलासिता छोड़कर साधारण वस्त्रों में जीवन बिताया।
उनका हर कार्य समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित था।
वे कहती थीं —

“देश का विकास तब होगा जब हर महिला शिक्षित और आत्मनिर्भर बनेगी।”

उनके लिए राजनीति धर्म थी, और धर्म का उद्देश्य था — लोककल्याण।


???? विरासत और प्रेरणा

राजमाता विजया राजे सिंधिया का जीवन आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरक संदेश है —
कि शक्ति और सादगी एक साथ चल सकती हैं।
उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि एक महिला केवल परिवार ही नहीं, बल्कि राष्ट्र का भविष्य भी गढ़ सकती है।

भारत सरकार ने उनके योगदान को सम्मान देते हुए 2020 में “राजमाता विजया राजे सिंधिया जन्मशताब्दी वर्ष” मनाया और उनके सम्मान में स्मारक सिक्का जारी किया।


???? संथाल हूल एक्सप्रेस की श्रद्धांजलि

राजमाता विजया राजे सिंधिया जी की जयंती पर “संथाल हूल एक्सप्रेस” परिवार उन्हें शत-शत नमन करता है।
उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि जनसेवा, समर्पण और सादगी से ही सच्चे अर्थों में राष्ट्रसेवा की जा सकती है।

“राजनीति में नैतिकता लाने वाली, और सेवा को धर्म मानने वाली थीं राजमाता विजया राजे सिंधिया।”

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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