✍️ विशेष लेख | संथाल हूल एक्सप्रेस
भारत के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज़ाद भारत के राजनीतिक चिंतन तक, यदि किसी व्यक्तित्व ने जन-संघर्ष, सामाजिक न्याय और विचार की राजनीति को एकजुट किया, तो वह नाम है — डॉ. राम मनोहर लोहिया।
वे केवल नेता नहीं, बल्कि आदर्श समाजवादी, निडर वक्ता, प्रखर चिंतक और भारत के आमजन के सच्चे प्रतिनिधि थे।
उनका जीवन सादगी, सत्य और संघर्ष की ऐसी मिसाल है, जो आज भी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो भारत को समानता और न्याय के मार्ग पर ले जाना चाहता है।
???? प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को अकबरपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
उन्होंने उच्च शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय और फिर जर्मनी के बर्लिन विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध अर्थशास्त्री हेराल्ड लास्की के मार्गदर्शन में “सॉल्ट टैक्स एंड इंडियन फ्रीडम स्ट्रगल” विषय पर शोध किया।
शिक्षा के साथ ही उनमें स्वदेश, समाज और स्वाभिमान की चेतना और प्रखर हो उठी।
✊ स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
लोहिया जी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत महात्मा गांधी के नेतृत्व में स्वतंत्रता आंदोलन से की।
वे क्विट इंडिया मूवमेंट (1942) के प्रमुख सूत्रधारों में से एक रहे।
उनकी लेखनी और भाषणों में वह तेज़स्विता थी, जो ब्रिटिश शासन को झकझोर देती थी।
उन्होंने कहा था —
“स्वतंत्रता केवल अंग्रेजों से मुक्ति नहीं, बल्कि हर अन्याय से मुक्ति है।”
⚖️ समाजवाद की नई परिभाषा
डॉ. लोहिया ने भारत में “समाजवाद” को केवल आर्थिक नीति नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति का माध्यम बताया।
उनका मानना था —
“समान अवसरों के बिना लोकतंत्र केवल दिखावा है।”
उन्होंने जाति प्रथा, गरीबी, असमानता और महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई।
उन्होंने “सप्त क्रांति सिद्धांत (Seven Revolutions)” के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समानता का स्पष्ट खाका प्रस्तुत किया।
????️ राजनीति में सादगी और सिद्धांत
लोहिया जी का राजनीतिक जीवन सत्ता से नहीं, बल्कि जनसेवा और वैचारिक दृढ़ता से परिभाषित था।
वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) और बाद में समाजवादी आंदोलन के प्रमुख नेता बने।
उनका विचार था कि भारत तभी आत्मनिर्भर बनेगा, जब गांव, किसान, महिला और श्रमिक सशक्त होंगे।
उनके नारे आज भी प्रासंगिक हैं —
“अंग्रेज़ी हटाओ, देश बचाओ।”
“जिंदा कौमें पांच साल इंतज़ार नहीं करतीं।”
???? विरासत और प्रेरणा
डॉ. राम मनोहर लोहिया का निधन 12 अक्टूबर 1967 को हुआ, लेकिन उनका विचार आज भी जीवंत है।
उनकी सोच ने भारत के कई राजनीतिक आंदोलनों और सामाजिक सुधार अभियानों को दिशा दी।
वे हमें यह सिखाते हैं कि राजनीति केवल सत्ता का खेल नहीं, बल्कि समाज परिवर्तन का साधन है।
???? संथाल हूल एक्सप्रेस की श्रद्धांजलि
डॉ. राम मनोहर लोहिया जी की पुण्यतिथि पर “संथाल हूल एक्सप्रेस” परिवार उन्हें कोटि-कोटि नमन करता है।
उनकी विचारधारा आज के भारत के लिए उतनी ही प्रासंगिक है जितनी स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में थी।
“जब तक समाज में अन्याय रहेगा, लोहिया की विचारधारा प्रासंगिक रहेगी।”