संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
मसलिया : मसलिया प्रखंड क्षेत्र के दलाही पंचायत के मधुबन पहाड़िया टोला में पेयजल संकट एक गंभीर समस्या बन हुई है। यहा कल्याण विभाग द्वारा सात वर्ष पूर्व लगभग 20 लाख रुपये की लागत से सोलर संचालित जलमीनार का निर्माण कराया गया था।जो मात्र चार वर्षों तक ही सुचारु रूप से चली। बीते तीन वर्षों से यह जलमीनार पूरी तरह बंद पड़ी है। जिससे आदिम जनजाति परिवारों को पीने की पानी के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।ग्रामीण भुवनेश्वर पुजहर, राजेश पुजहर, पूरण पुजहर और उर्मिला देवी ने बताया कि टोला में कुल दस आदिम जनजातीय परिवार के लगभग चालीस सदस्यों के लिए केवल एक चापाकल है, जो गर्मियों के मौसम में जलस्तर नीचे चले जाने से पेजयल की किल्लत बढ़ जाती है। मजबूरन ग्रामीणों को एक किलोमीटर दूर स्थित मधुबन आदिवासी टोला से घाटों इंतिजार करके पीने की पानी लेन पड़ते है। वही ग्रामीण महिलाओं का कहना है की बंद जलमीनार को दुरुस्त करने की आवश्यकता है। जब तक जलमीनार चालू रहा ऐसी समस्या कभी उत्पन्न नही हुई।टोला में एक छोटा तालाब और दो डोभा भी हैं, जिनसे ग्रामीण नहाने और मवेशियों के लिए पानी का उपयोग करते हैं। लेकिन पीने योग्य पानी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है।ग्रामीणों का आरोप है कि विभागीय उदासीनता के कारण जलमीनार की मरम्मत नहीं करवाई गई है। इससे सरकार की आदिवासी उत्थान योजनाओं की वास्तविकता पर सवाल उठने लगे हैं। टोला वासियों ने कल्याण विभाग से शीघ्र हस्तक्षेप कर जलमीनार की मरम्मत या एक नए कूप की व्यवस्था की मांग की है। ताकि उन्हें दैनिक जीवन के लिए पानी की मूलभूत सुविधा मिल सके।