JSSC CGL पेपर लीक मामला: सरकार के खिलाफ उठी आवाज़ को दबाने का आरोप, गवाहों को डराने और सबूत मिटाने की साजिश का संकेत

रांची, झारखंड: झारखंड स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (JSSC) के कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल (CGL) परीक्षा पेपर लीक मामले में एक नया और गंभीर मोड़ आ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पेपर लीक का सबूत देने वाले संतोष कुमार मस्ताना को सीआईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। मरांडी ने यह भी आरोप लगाया कि सीआईडी पूरे मामले को दबाने और तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने में लगी हुई है।

‘सबूत देने वाले’ की गिरफ्तारी पर सवाल

बाबूलाल मरांडी ने अपने पोस्ट में लिखा, “अभी-अभी सूचना मिली है कि JSSC CGL पेपर लीक प्रकरण में संतोष कुमार मस्ताना (प्रशाखा पदाधिकारी, सचिवालय सेवा) जिन्होंने मुखरता से आवाज उठाई साथ ही पेपर लीक का सबूत भी दिया, उन्हें CID ने गिरफ्तार कर लिया है।” मस्ताना के गिरफ्तारी के समय पर भी सवाल उठाते हुए मरांडी ने लिखा, “कल केस की हाई कोर्ट में सुनवाई है और आज गिरफ्तार करना ये समझ से परे है।”

गवाहों को डराने और सबूत मिटाने के आरोप

मरांडी के आरोपों के मुताबिक, इस मामले में जो शिक्षक पेपर लीक के खिलाफ सड़क से लेकर अदालत तक लड़ रहे हैं, उन्हें भी लगातार सीआईडी की तरफ से नोटिस दिए जा रहे हैं। सबसे गंभीर आरोप यह है कि सीआईडी सारे तथ्यों और सबूतों को मिटाने में लगी हुई है। मरांडी ने लिखा, “हमें ज्ञात हुआ है कि सीआईडी इस पेपर लीक केस में सारे तथ्यों और सबूतों को मिटा रही है साथ ही गवाहों को डरा-धमकाकर उनके बयान बदले जा रहे हैं।”

सरकार पर ‘किंगपिन’ को बचाने का आरोप

पूर्व मुख्यमंत्री ने सीधे तौर पर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “आखिर ऐसी कौन सी बात है जो सीआईडी सारे तथ्यों को सरकार के इशारे पर तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है?” उनका आरोप है, “शुरुआत से ही इससे स्पष्ट है कि इस पेपर लीक प्रकरण में किंगपिन को बचाकर सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को गिरफ्तार कर उनकी आवाज को दबाना चाहती है।”

मामले के विवादित पहलू

मरांडी ने अपने पोस्ट में मामले के कई पहलुओं की ओर ध्यान दिलाया:

  1. शुरुआती दावा बनाम FSL रिपोर्ट: आयोग ने शुरू में कहा था कि सबूतों से छेड़छाड़ हुई है, लेकिन FSL रिपोर्ट से स्पष्ट है कि किसी भी मोबाइल में छेड़छाड़ नहीं हुई।
  2. नेपाल कनेक्शन: छात्रों द्वारा नेपाल में पेपर लीक का कनेक्शन बताने के बाद सीआईडी ने स्वीकार किया कि 28 लोग नेपाल गए थे और उनमें से कई पास भी हुए।
  3. सबूतों को ‘अनुमान’ साबित करने की कोशिश: सबूत के तौर पर पेश मोबाइल में मिले अधिकतर प्रश्नों के उत्तर सही पाए गए, लेकिन अब सीआईडी कोर्ट में इसे महज ‘अनुमान’ साबित करने पर तुली हुई है।

JSSC CGL पेपर लीक मामला अब एक भ्रष्टाचार निरोधक मामले से आगे बढ़कर एक राजनीतिक युद्ध का रूप ले चुका है। विपक्ष की तरफ से लगातार जांच एजेंसियों पर दबाव और सबूतों को दबाने के आरोप लग रहे हैं। संतोष कुमार मस्ताना की गिरफ्तारी ने इस विवाद को और हवा दे दी है। अब सभी की निगाहें हाई कोर्ट की आगामी सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस मामले के सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार होने की उम्मीद है। हजारों युवाओं का भविष्य इस मामले के निष्पक्ष और पारदर्शी निष्कर्ष पर निर्भर करता है।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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