संथाल हूल एक्सप्रेस, झारखंड —
दीपोत्सव के अवसर पर आज काली चौदस (नरक चतुर्दशी) का पर्व पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन को छोटी दिवाली या रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है।
🌺 माता काली की आराधना और नरकासुर वध की कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और माता काली ने असुर नरकासुर का वध किया था। इसी कारण इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।
कहा जाता है कि माता काली का प्रकट होना मानवता की रक्षा और अधर्म के अंत का प्रतीक है। आज के दिन भक्तजन माता काली की पूजा-अर्चना कर जीवन से नकारात्मकता, भय और अहंकार को समाप्त करने का संकल्प लेते हैं।
🔥 पूजा-विधि और परंपरा
भक्त सुबह स्नान के बाद तेल अभिषेक करते हैं, जिसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है। माना जाता है कि इससे शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है।
शाम को भक्त दीप प्रज्वलित कर माता काली की आरती करते हैं और घर-आंगन में दीपों से प्रकाश फैलाते हैं।
इस दिन लोग आत्मशुद्धि, दान और सेवा को विशेष महत्व देते हैं। झारखंड के कई हिस्सों में मंदिरों और घरों में भजन-कीर्तन और हवन का आयोजन किया गया।
🌼 आध्यात्मिक संदेश
काली चौदस यह सिखाती है कि जब मनुष्य अपने भीतर के भय, क्रोध और अंधकार को परास्त करता है, तभी उसके जीवन में सच्चा प्रकाश आता है।
माता काली की उपासना केवल शक्ति की नहीं, बल्कि साहस, आत्मबल और न्याय के प्रति समर्पण की भी प्रतीक है।
🙏 संथाल हूल एक्सप्रेस की ओर से शुभकामनाएँ
“मां काली आपके जीवन से अंधकार मिटाकर ज्ञान, शांति और समृद्धि का दीप जलाएँ।
काली चौदस की हार्दिक शुभकामनाएँ!” 🪔
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