वीरता और बलिदान की प्रतीक क्रांतिकारी दुर्गावती देवी को उनकी जयंती पर शत्-शत् नमन

साहिबगंज, 7 अक्टूबर:
भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी और भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे वीर क्रांतिकारियों की सहयोगी श्रीमती दुर्गावती देवी (Durga Bhabhi) की जयंती पर आज देशभर में उन्हें श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया जा रहा है।

संथाल हूल एक्सप्रेस (हिंदी दैनिक) ने इस अवसर पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा —

“दुर्गावती देवी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास की वह अदम्य नारी थीं, जिन्होंने स्त्रीत्व और साहस को एक साथ नई परिभाषा दी।”

दुर्गावती देवी का जन्म 7 अक्टूबर 1907 को हुआ था। वे न केवल भगत सिंह की करीबी सहयोगी थीं, बल्कि ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई क्रांतिकारी अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल रहीं।
वे उस दौर में महिलाओं की भूमिका को सीमित मानने वाली सामाजिक सोच को तोड़ते हुए क्रांतिकारी आंदोलन का अभिन्न हिस्सा बनीं।


⚔️ अमर साहस का प्रतीक

जब भगत सिंह और राजगुरु ने लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के बाद लाहौर से भागने की योजना बनाई, तब दुर्गावती देवी ने अपनी गोद में बच्चे को लेकर भगत सिंह को अपने पति के रूप में भेष बदलकर लाहौर से कलकत्ता तक सुरक्षित पहुँचाया।
उनकी यह भूमिका भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे साहसिक अध्यायों में गिनी जाती है।


????️ महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा

दुर्गावती देवी का जीवन संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि राष्ट्रप्रेम और साहस किसी एक लिंग तक सीमित नहीं, बल्कि यह हर भारतीय के भीतर निहित है।

उनका योगदान न केवल स्वतंत्रता संग्राम में, बल्कि भारतीय नारी शक्ति के उत्थान में भी एक ऐतिहासिक प्रेरणा बना हुआ है।

“दुर्गावती देवी जैसी वीरांगनाएँ हमारी राष्ट्रीय अस्मिता की शाश्वत प्रतीक हैं। उनका साहस और समर्पण आने वाली पीढ़ियों को देशभक्ति की सच्ची प्रेरणा देता रहेगा।”

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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