राष्ट्रभक्ति, वीरता और बलिदान के प्रतीक — गुरु गोविंद सिंह जी को शत-शत नमन

साहिबगंज, 7 अक्टूबर:
राष्ट्रभक्ति, वीरता और त्याग के प्रतीक, सिख पंथ के दशम गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी की पुण्यतिथि पर पूरे देशभर में श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित की जा रही हैं।
इस अवसर पर संथाल हूल एक्सप्रेस (हिंदी दैनिक) ने गुरु गोविंद सिंह जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका जीवन धर्म, साहस और मानवता की रक्षा का अद्वितीय उदाहरण है।

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 1666 ई. में पटना साहिब (बिहार) में हुआ था। उन्होंने न केवल सिख धर्म को नई दिशा दी, बल्कि न्याय, समानता और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष की अमर गाथा लिखी।
उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और समाज में यह संदेश दिया कि “धर्म की रक्षा हेतु संघर्ष ही सच्ची भक्ति है।”

गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन का प्रत्येक अध्याय बलिदान और प्रेरणा से ओत-प्रोत रहा। उन्होंने अपने चारों पुत्रों का बलिदान देकर भी सत्य और धर्म के मार्ग से समझौता नहीं किया।
उनकी शिक्षाएँ आज भी हमें यह प्रेरणा देती हैं कि विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य, साहस और न्याय का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।

इस अवसर पर संथाल हूल एक्सप्रेस के संपादकीय संदेश में कहा गया —

“गुरु गोविंद सिंह जी केवल सिख समुदाय के नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं। उनकी शिक्षा हमें एकता, साहस और मानवता के प्रति समर्पण का संदेश देती है।”

पुण्यतिथि के अवसर पर विभिन्न गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं ने अकीर्तन, लंगर और अरदास के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की।
देशभर में यह दिवस साहस, त्याग और सेवा की भावना के प्रतीक के रूप में मनाया जा रहा है।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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