नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए साफ कहा है कि यदि 8 अक्टूबर 2025 तक सारंडा वन क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य घोषित करने की अधिसूचना जारी नहीं की गई, तो राज्य के मुख्य सचिव को न्यायालय की अवमानना के तहत जेल जाना पड़ सकता है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि राज्य सरकार जानबूझकर आदेश का पालन नहीं कर रही है और बार-बार टालमटोल कर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। कोर्ट ने कहा कि यह न्यायालय की सीधी अवमानना है। गौरतलब है कि 29 अप्रैल 2025 को झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि 576 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य और 136 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को संरक्षण रिज़र्व घोषित किया जाएगा। इस पर भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून ने भी अनुकूल रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसके बावजूद सरकार ने अधिसूचना जारी करने की बजाय खनन और अन्य व्यावसायिक हितों की जांच के लिए नई समिति गठित कर दी।
एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ अधिवक्ता के. परमेश्वर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार जानबूझकर आदेश टाल रही है और सीमांकन की प्रक्रिया का बहाना बना रही है। कोर्ट ने अंतिम चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय सीमा तक अधिसूचना जारी नहीं हुई, तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होना होगा। साथ ही, जरूरत पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय स्वयं परमादेश जारी कर सारंडा को अभयारण्य घोषित करेगा।
