संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता,
रांची : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव आलोक कुमार दूबे ने केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि हाल ही में लागू किए गए नेक्स्ट जेन जीएसटी सुधार का सबसे बड़ा बोझ राज्यों पर डाला गया है और झारखंड को इससे हजारों करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ेगा। आलोक दूबे ने कहा कि उपभोक्ताओं को शुरुआत में टैक्स कटौती से थोड़ी राहत जरूर दिखेगी, लेकिन यह अस्थायी होगी। “राजस्व घटने पर राज्य सरकारों के पास स्कूल, अस्पताल, सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए पैसे की कमी हो जाएगी। नतीजतन या तो कर्ज लेना पड़ेगा या नए टैक्स लगाने होंगे। यानी शुरुआती राहत बाद में महंगाई, बेरोजगारी और विकास रुकने की मार बन जाएगी, उन्होंने कहा। कांग्रेस नेता ने भाजपा सरकार पर मनमानी और जल्दबाजी का आरोप लगाते हुए कहा कि बिना राज्यों से गंभीर संवाद किए यह सुधार लागू कर दिया गया। यह जनता और राज्यों की अर्थव्यवस्था से सीधा खिलवाड़ है। भाजपा की नीति हैपहले लागू करो, बाद में सोचो, कहा झारखंड पर पड़ेगा सीधा असर उन्होंने कहा कि झारखंड पहले से ही सीमित संसाधनों और आदिवासी बहुल इलाकों वाला राज्य है। ऐसे में जीएसटी से राजस्व घटने पर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में सड़क, बिजली, शिक्षा और पेयजल जैसी योजनाएं ठप पड़ जाएंगी। उन्होंने आशंका जताई कि यदि केंद्र ने क्षतिपूर्ति ईमानदारी से नहीं दी तो किसान, मजदूर और नौजवान सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
कांग्रेस की चार मांगें
आलोक दूबे ने केंद्र सरकार से झारखंड के हित में चार ठोस मांगें रखीं जिसमें कम से कम पांच साल तक जीएसटी क्षतिपूर्ति की गारंटी दी जाए। विशेष राज्य सहायता कोष बनाया जाए। छोटे व्यापारियों और उद्यमियों के लिए कम्प्लायंस आसान किया जाए।
ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए अलग पैकेज सुनिश्चित किया जाए। राजस्व घटाना और भरपाई न करना, दोहरा अन्याय
आलोक दूबे ने कहा, यदि केंद्र टैक्स घटाकर उपभोक्ता को राहत देता है तो उसका स्वागत है। लेकिन जब उसी राहत की कीमत राज्यों से वसूली जाएगी और भरपाई भी नहीं की जाएगी, तो यह झारखंड जैसे राज्यों के साथ दोहरा अन्याय है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को सड़क से संसद तक लेकर जाएगी। हम जनता का हक छिनने नहीं देंगे। भाजपा सरकार को झारखंड की जनता को जवाब देना ही होगा।