सीयूजे में भारत-मालदीव संबंधों पर विशेष व्याख्यान, हर सप्ताह शोधार्थियों को मिलेगा विचार रखने का अवसर

रांची। झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजे) के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग और राजनीति अध्ययन विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम ‘इंटरनेशनल रिलेशन रिसर्च क्लब’ के बैनर तले हुआ, जिसका उद्देश्य शोधार्थियों में विश्लेषणात्मक क्षमता का विकास करना और विभाग में अकादमिक चर्चा की परंपरा को बढ़ावा देना है। इस नई पहल के तहत हर सप्ताह एक शोधार्थी को राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के किसी विषय पर विचार रखने का अवसर मिलेगा। इसी क्रम में अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग की शोधार्थी पुजा कुमारी ने “बदलते परिप्रेक्ष्य में भारत-मालदीव संबंध : अवसर व चुनौतियां” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के अवसर, मालदीव का सामरिक महत्व, भारत के लिए उपयोगिता, चीन की मौजूदगी का प्रभाव तथा ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव जैसे पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम में दोनों विभागों के संयुक्त विभागाध्यक्ष डॉ. आलोक कुमार गुप्ता, सहायक प्राध्यापक डॉ. विभूति भूषण विश्वास, डॉ. अशोक निमेष, डॉ. अपर्णा सहित शोधार्थी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।व्याख्यान के बाद हुए प्रश्नोत्तर सत्र में शिक्षकों और शोधार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की। डॉ. आलोक ने चीन-भारत प्रतिद्वंद्विता का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे जहां क्षेत्रीय देशों के लिए चुनौतियां पैदा हुई हैं, वहीं उन्हें अपने हित साधने के अवसर भी मिले हैं। डॉ. विभूति भूषण विश्वास ने मालदीव के घरेलू राजनीतिक और सामाजिक अंतर्द्वंदों तथा उनके विदेश नीति पर प्रभाव की चर्चा की। डॉ. अपर्णा ने भारतीय विदेश नीति के सफल निष्पादन में आने वाली चुनौतियों और उनसे निपटने के सुझाव प्रस्तुत किए। डॉ. अशोक निमेष ने भारतीय प्रधानमंत्री की हालिया मालदीव यात्रा और दोनों देशों के रिश्तों में आए उतार-चढ़ाव पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में सभी प्राध्यापकों ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे आगे भी जारी रखने पर बल दिया और शोधार्थियों को शुभकामनाएं दीं।

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