रांची। झारखंडियों और मुस्लिम समुदाय से जुड़े अधिकारों व समस्याओं को लेकर आमया संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को एक विस्तृत मांगपत्र सौंपा और समुदाय की उपेक्षाओं पर चिंता जताई। संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष एस. अली ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि स्थानीय नीति के अभाव में बाहरी अभ्यर्थियों को लाभ मिल रहा है, जिससे राज्य के युवाओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जिलावार बहाली में पिछड़ा वर्ग को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं दिया जा रहा।
शिक्षा और रोजगार से जुड़ी मांगें
JSSC सहायक आचार्य (भाषा) पद के लिए आलिम डिग्रीधारियों का परिणाम अब तक जारी नहीं किया गया। फाजिल डिग्रीधारियों को माध्यमिक आचार्य की बहाली में शामिल नहीं किया गया। मदरसा आलिम-फाजिल परीक्षाएं रांची विश्वविद्यालय के माध्यम से आयोजित नहीं हो रही हैं। राज्य के 3712 उर्दू शिक्षक पदों को TET पास अभ्यर्थियों से भरने के बजाय सहायक आचार्य में समायोजित किया गया। जिन 544 उर्दू स्कूलों का स्टेटस छीना गया था, उन्हें पुनः बहाल करने की मांग उठी। उर्दू एकेडमी गठन और अल्पसंख्यक कोचिंग योजना शुरू करने की भी मांग की गई। प्रतिनिधिमंडल ने Mob Lynching Bill 2021 लागू न होने पर नाराज़गी जताई और कहा कि इससे घटनाओं में वृद्धि हुई है। साथ ही, 10 जून 2022 रांची गोलीकांड का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस दिन दर्ज एफआईआर अब तक वापस नहीं ली गई और गोली चलाने वालों पर कार्रवाई नहीं हुई।
मुस्लिम धार्मिक स्थलों को सरकारी भूमि पर पट्टा देने की मांग की गई। बांग्ला भाषी मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव रोकने की अपील हुई।
भैंस वंशी पशुओं के वध की अनुमति मांगी गई, जैसा कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में है।
बुनकर और टेलरिंग समितियों को सरकारी कार्यों में स्थान देने की मांग भी उठी।
मुख्यमंत्री का आश्वासन
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिनिधिमंडल की सभी बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि “सभी मांगों को संवेदनशीलता के साथ संज्ञान में लिया गया है और शीघ्र ही उचित समाधान किया जाएगा। इस मौके पर संगठन के कई पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें लतीफ आलम, जियाउद्दीन अंसारी, मो. फुरकान, इमरान अंसारी, नौशाद आलम, रहमतुल्लाह अंसारी, एकराम हुसैन, औरंगजेब आलम, अब्दुल गफ्फार, अलाउद्दीन अंसारी, सफदर सुल्तान, अरशद जिया, अफजल खान, मो. अब्दुल्लाह आदि शामिल रहे।