चार माह में सूची जारी करने का आदेश, पुराने सभी आदेश रद्द
रांची संवाददाता / मनोज प्रसाद
झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में डीएसपी की नियुक्ति को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने वर्ष 2016, 2017, 2018 और 2024 में जारी वरीयता सूची को अवैध करार देते हुए उसे निरस्त कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह 2010 में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर नई वरीयता सूची तैयार करे।
हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की एकल पीठ ने यह फैसला दिया। अदालत ने राज्य सरकार को नई वरीयता सूची चार माह के भीतर तैयार करने का निर्देश दिया है। साथ ही प्रार्थियों को वरीयता के आधार पर मिलने वाले सभी लाभ देने को भी कहा गया है।
याचिकाकर्ताओं ने उठाया था अनुचित नियम बदलाव का मुद्दा—-
इस मामले में नजीर अख्तर समेत अन्य उम्मीदवारों की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने दलील दी कि उनकी नियुक्ति वर्ष 2010 में जेपीएससी की परीक्षा के आधार पर हुई थी और वरीयता तय करने का आधार भी वही परीक्षा होनी चाहिए थी।
लेकिन राज्य सरकार ने वर्ष 2012 में बनाए गए नियमों को लागू करते हुए प्रशिक्षण में प्राप्त अंकों को वरीयता सूची में शामिल कर लिया। यह नियम भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद लाया गया था, जो न्यायसंगत नहीं है।
अदालत ने माना नियमों में बदलाव अनुचित—-
अदालत ने माना कि जब एक प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो, तो उसके बाद नियमों में बदलाव कर उसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता। यह उम्मीदवारों के साथ अन्याय है।
हाई कोर्ट के इस फैसले से प्रभावित अभ्यर्थियों को राहत मिली है और अब उनकी नियुक्ति व वरीयता 2010 की मूल मेरिट लिस्ट के आधार पर तय होगी।
प्रमुख बिंदु——
- 2010 जेपीएससी परीक्षा की मेरिट के आधार पर बनेगी नई वरीयता सूची
- 2016, 2017, 2018 और 2024 में जारी सभी सूची हुईं रद्द
- प्रशिक्षण अंक जोड़ना गलत करार, चार माह में नई सूची जारी करने का निर्देश
- लाभों का पुनर्निर्धारण भी वरीयता के अनुसार किया जाएगा