सभी बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी बालकों के प्रति करें मित्रवत व्यवहार : डीएसपी
संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
दुमका : जिला बाल संरक्षण इकाई दुमका एवं प्रवाह संस्था के संयुक्त तत्वाधान में शनिवार को जिला बाल संरक्षण इकाई के सभागार में लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015, मानव तस्करी विषयों एवं विभिन्न अधिनियमों पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला का शुभारंभ विशेष किशोर पुलिस पदाधिकारी सह पुलिस उपाधीक्षक (मु०) इकुड डुंगडुंग, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चन्द्र, किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य धर्मेन्द्र नारायण प्रसाद एवं बाल कल्याण समिति के निवर्तमान सदस्य डॉ० रंजन कुमार सिन्हा ने विधिवत संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। विशेष किशोर पुलिस पदाधिकारी सह पुलिस उपाधीक्षक (मु०) इकुड डुंगडुंग ने अपने वक्तव्य में कहा कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 106 में उल्लिखित है कि प्रत्येक थाने में बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी (सीडब्ल्यूपीओ) होंगे और बच्चों से संबंधित प्राप्त मामले का निष्पादन एवं समस्त कार्यवाही सीडब्ल्यूपीओ ही करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि जिले के समस्त पुलिस पदाधिकारी बच्चों के साथ थानों में मित्रवत व्यवहार करें जिससे कि बच्चे निर्भिक होकर अपनी बातों और भावनाओं को सरलतापूर्वक व्यक्त कर सके। जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चन्द्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि थाने में बच्चों से संबंधित किसी भी प्रकार की सहायता की आवश्यकता होती हो तो अविलंब उसे जिला बाल संरक्षण इकाई या चाइल्ड हेल्पलाइन से साझा किया जाए, जिससे कि सामूहिक प्रयास से बाल हित में उचित निर्णय लिया जा सके। किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य धर्मेन्द्र नारायण प्रसाद ने अपने वक्तव्य में कहा कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा एवं आदर्श नियम का अनुपालन करते हुए बालकों/किशोरों का उपस्थापन नियमानुकूल समिति/बोर्ड के समक्ष करेंगे। सामान्यतः देखा जाता है कि पुलिस पदाधिकारियों द्वारा बालकों/किशोरों को समिति/बोर्ड के समक्ष उपस्थापन के दौरान पुलिस वर्दी में किया जाता है जो कि नियमानुकूल नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि सामाजिक पृष्ठभूमि रिपोर्ट (एसबीआर) स्थानीय जांच कर निष्पक्ष एवं सत्यता के साथ बोर्ड को समर्पित करें। बाल कल्याण समिति के निवर्तमान सदस्य डॉ० रंजन कुमार सिन्हा ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्राप्त पॉक्सो मामले के पॉक्सो पीड़िता को बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थापित करने से पूर्व अधिनियम के तहत नियमानुकूल फॉर्म बी आवश्यक रूप से पूर्ण कर समिति को समर्पित करें। समिति तीन कार्य दिवस के अंदर निर्णय लेकर संबंधित थाने को सूचित करेगी कि पीड़िता का उपस्थापन समिति के समक्ष आवश्यक है या नहीं। प्रवाह के परियोजना समन्वयक सह रिसोर्स पर्सन प्रेम कुमार ने मानव तस्करी एवं बालकों से संबंधित विभिन्न वैधानिक प्रावधानों व अधिनियमों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। उक्त कार्यशाला में डीसीपीयू से एलपीओ अनिल मोहन ठाकुर, पूनम कुमारी, प्रमिला टुडू, मुबारक अंसारी, चाइल्ड हेल्पलाइन के परियोजना समन्वयक मो० शमीम अंसारी, रेलवे चाइल्ड हेल्पडेस्क, संप्रेक्षण गृह के तमाम पदाधिकारी व कर्मीगण, प्रवाह संस्था से मार्था हांसदा, सुशीला मुर्मू, विमोली हेंब्रम, करण मुर्मू, ग्राम ज्योति से मुकेश कुमार दुबे, सनातन मुर्मू, एवं समस्त थानों के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी मौजूद थे।