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एनसीएसटी की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने सिरमटोली रैम्प निर्माण का जायजा लिया: निरीक्षण के बाद मुख्य सचिव, कल्याण विभाग के सचिव व पथ निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता के साथ बैठक की

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संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची: राजधानी रांची के सिरमटोली स्थित फ्लाईओवर के रैम्प निर्माण का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। आदिवासी संगठनों का आरोप है कि ऐतिहासिक सिरमटोली सरना स्थल के समीप रैम्प का निर्माण से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डा. आशा लकड़ा सक्रिय हो चुकी है इसी कड़ी में उन्होंने सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल के समीप सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर के रैंप का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने प्रोजेक्ट भवन में मुख्य सचिव, कल्याण विभाग के सचिव व पथ निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता समेत अन्य अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार की अनुस्थिति पर नाराजगी जताई। उन्होंनेे कहा कि जब आयोग की ओर से पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को समन जारी कर नई दिल्ली स्थित आयोग के समक्ष उपस्थित होने का निर्देेश दिया जाता है तो वे अपनी व्यस्तता का हवाला देते हैं और जब आयोग की टीम रांची में आयोजित बैठक में उन्हें उपस्थित होने का निर्देश देती है तो वे दिल्ली चले जाते हैं। प्रधान सचिव सुनील कुमार का यह रवैया ठीक नहीं है। वे आयोग के दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब बैठक में पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ही उपस्थित नहीं हैं, तो संबंधित विषय पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाएगा। इसलिए बैठक स्थगित कर दी गई। संबंधित अधिकारियों को निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि आयोग की ओर से भेजे गए नोटिस का जवाब दें, ताकि सिरमटोली सरना स्थल के समीप कराएं गए रैंप निर्माण व केंद्रीय सरना स्थल को संरक्षित करने की दिशा में उचित निर्णय लिया जा सके। इस दौरान मुख्य सचिव अलका तिवारी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि आयोग की ओर से सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर के रैंप से संबंधित दिए गए दिशा-निर्देश व सुझाव से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को भेज दिया जाएगा, ताकि संबंधित विषयों पर उचित कार्रवाई हो सके। आयोग के कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए डा. आशा लकड़ा ने कहा कि जब तक राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की ओर से संबंधित मामले की जांच की जा रही है, तब तक संबंधित योजना का न तो उद्घाटन किया जा सकता है और ना ही किसी प्रकार का निर्माण कार्य। संबंधित योजना यथावत रहेगी। मौके पर रांची नगर निगम के अपर प्रशासक संजय कुमार, नगर विकास विभाग के अधिकारी ज्ञानेंद्र कुमार, एनसीएसटी के डिप्टी सेक्रेटरी योगेंद्र यादव, रिसर्च आफिसर एचआर मीणा, अनुसंधान अधिकारी राहुल, लीगल आफिसर राहुल यादव समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

डा. आशा लकड़ा ने दिया निर्देश अधिकारियों से कहा कि नई तकनीक का उपयोग कर रैंप के समीप ऊंचाई बढ़ाएं

केंद्रीय सरना स्थल के समीप सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर के रैंप विवाद मामले पर उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने बताया कि फ्लाईओवर के दो पिलर के बीच 12 मीटर का गैप है और रैंप की लंबाई 300 मीटर है। रैंप के आगे-पीछे काफी जगह है। डा. आशा लकड़ा ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि नई तकनीक का उपयोग कर रैंप के समीप ऊंचाई बढ़ाएं।रैंप को हटाकर पिलर का निर्माण कराएं और सरना स्थल के समीप ऊंचाई बढ़ाएं, ताकि सरहुल की शोभायात्रा में शामिल आदिवासी समाज के लोगोंं को केंद्रीय सरना स्थल के प्रांगण तक पहुंचने में किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने यह भी कहा कि फ्लाईओवर का डीपीआर बनाते समय जिन अधिकारियों ने स्थल जांच किया शोध किया, उन्हें रैंप के आगे-पीछे क्या है, इस पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन उन्हें ध्यान आया सिर्फ रेलवे लाइन का क्रांसिंग और रैंप के आगे स्थित पेट्रोल पंप। संबंधित अधिकारियों को आदिवासी समाज का केंद्रीय सरना स्थल नजर ही नहीं आया।केंद्रीय सरना स्थल आदिवासियोंं का सांस्कृतिक स्थल है। उसका संरक्षण करना चाहिए था। सरहुल आदिवासी समाज का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार में लाखों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग शोभायात्रा में शामिल होकर केंद्रीय सरना स्थल पहुंचते हैं। डीपीआर बनाते समय संबंधित अधिकारियों ने केंद्रीय सरना स्थल के सामने रैंप का डिजाइन तैयार कर आादिवासियोंं के सांस्कृतिक धरोहर पर कुठाराघात किया है।उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोघ करते हुए कहा कि आादिवासी समाज के सांस्कृतिक धरोहर को बचाइए, ताकि आदिवासी का संरक्षण व सुरक्षण हो सके। आदिवासी समाज के संरक्षण से ही आदिवासी राज्य की बहुलता संरक्षित होगी।

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