रांची संवाददाता / मनोज प्रसाद
राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) में दवाओं की किल्लत के बीच अब प्रबंधन ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। रिम्स निदेशक प्रो. डॉ. राजकुमार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि क्रय प्रक्रिया से जुड़ी फाइलों को अनावश्यक रूप से रोकने वाले अधिकारियों और क्लर्कों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ऐसा करने वालों का वेतन रोका जाएगा और उन्हें कदाचार के दायरे में माना जाएगा।
लिखित और मौखिक आदेशों की हो रही थी अनदेखी—-
निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि दवाओं और जरूरी सर्जिकल आइटम की खरीद को लेकर बार-बार निर्देश देने के बावजूद संबंधित विभागीय अधिकारी और क्लर्क लापरवाही बरत रहे हैं। स्टॉक खत्म हो जाने के बावजूद फाइलों को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा था, जिससे मरीजों को जरूरी दवाएं नहीं मिल पा रहीं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए प्रशासन को कड़ा कदम उठाना पड़ा है।
फाइलों की देरी को माना जाएगा भ्रष्टाचार—-
डॉ. राजकुमार ने आदेश जारी कर कहा है कि जो भी कर्मचारी या अधिकारी स्टॉक शून्य होने के बावजूद फाइलों को रोकेंगे, उनकी मंशा को संदेहास्पद माना जाएगा। यह कार्य प्रणाली को बाधित करने और निजी लाभ लेने की कोशिश मानी जाएगी। ऐसे सभी कर्मियों की पहचान कर उनके वेतन पर रोक लगाने की कार्रवाई की जाएगी।
बाहरी दुकानों से दवाएं लेने को मजबूर मरीज—–
गौरतलब है कि रिम्स में भर्ती मरीजों को जरूरी दवाएं अमृत फार्मेसी में नहीं मिल रही हैं। मरीजों के परिजन मजबूरी में बाहर की निजी दवा दुकानों से महंगी दवाएं खरीदने को विवश हैं। अस्पताल प्रबंधन द्वारा बार-बार स्टॉक उपलब्ध होने की बात कही जाती रही है, लेकिन वास्तविकता इसके उलट है।
प्रशासन की सख्ती से सुधरेंगे हालात?—-
रिम्स निदेशक के इस सख्त फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अस्पताल में दवाओं की उपलब्धता बेहतर होगी और मरीजों को राहत मिलेगी। अब देखना यह होगा कि लापरवाह कर्मियों पर यह कार्रवाई किस हद तक असर डालती है।