पगार ओपी थाना प्रभारी पर यूपीएससी की तैयारी में जुटे छात्र पर झूठा केस दर्ज कर जेल भेजने का लगा आरोप

सांसद पीड़ित छात्र के परिवार संग पहुंचे डीआईजी आवास

मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

हजारीबाग : झारखंड में पुलिसिया तंत्र की मनमानी चरम पहुंच गई है। पुलिस प्रशासन हमेशा यह प्रचारित करती है कि लोग झूठे केस बहुत करते हैं लेकिन जब कानून का रखवाला ही कानून से खिलवाड़ करने लगे और कोई जायज मामले में थाने में पहुंचे आवेदक को ही मुद्दा बना दें तो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठना लाज़मी है। प्रताड़ित व्यक्ति थाने में न्याय की गुहार लेकर पहुंचे और उस पर ही कई संगीन धाराओं के तहत उल्टा केस कर दिया जाय तो समाज के लिए यह पुलिस का वीभत्स रूप को बखूबी दर्शाता है और पुलिस प्रशासन से आम लोगों का भरोसा भी उठता है। ऐसा ही एक मामला बीते दिनों हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत केरेडारी प्रखंड स्थित पगार ओ.पी. क्षेत्र में उजागर हुआ है। जहां यूपीएससी के तैयारी में जुटे एक छात्र शारदानंद कुमार, पिता मूलचंद साव, ग्राम बेंग़वारी, थाना केरेडारी, जिला हजारीबाग को पगार ओपी थाना द्वारा न सिर्फ उनका आवेदन लेने से इनकार कर दिया गया बल्कि उसपर कई धाराओं के तहत प्राथमिक की दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। पुलिस के झूठे केस को न्यायालय ने समझा और उसे तत्काल बेल दे दिया। लेकिन सवाल उठता है कि कोई आम आदमी थाना में घुसकर थाना प्रभारी का गिरेबान पकड़ ले, थाने में फाइल तितर- बितर कर दे और उसकी तुरंत गिरफ्तारी न हो तो यह थानेदार की कमजोरी और उनकी विफलता को साफ़ दर्शाता है। ऐसे पुलिस अधिकारी को थाने की जिम्मेवारी कतई नहीं मिलनी चाहिए। हजारीबाग जिले के केरेडारी प्रखंड क्षेत्र के पगार ओपी थाना क्षेत्र से पुलिस पड़ताना का जो मामला प्रकाश में आया है उसमें आलम यह रहा कि हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल को हजारीबाग झील परिसर स्थित डीआईजी आवास जाकर आवेदन देना पड़ा है कि इस मामले पर संज्ञान लें और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई भी करें। पूरा मामला पगार ओपी का है जिसके तहत पगार ओपी थाना प्रभारी विक्की ठाकुर पर गंभीर आरोप लगा है कि उसने झूठा आरोप लगाकर यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। क्योंकि उसने कोयल खनन कंपनी के खिलाफ आवेदन दिया था। पुलिस प्रताड़ना को लेकर कई तरह की खबर हमेशा प्रकाश में आती है। हजारीबाग में पुलिस प्रताड़ना का शिकायत लेकर जब सांसद मनीष जायसवाल खुद डीआईजी आवास पहुंच जाए तो यह समझना चाहिए कि मामला कितना गंभीर है। हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने मुलचंद साव और उनके परिवार के ऊपर पुलिस प्रताड़ना को लेकर डीआईजी संजीव कुमार को आवेदन दिया है और कहा है कि इस पूरे मामले की तहकीकात कर उचित कार्रवाई की जाए। पूरा मामला कोल कंपनी के जमीन अधिग्रहण से लेकर जुड़ा हुआ है। मुलचंद साव के जमीन और घर को कोयला उत्खनन को लेकर अधिग्रहण में गया है। पैसा भुगतान का विरोध करते हुए इन्होंने पगार ओपी में आवेदन देने का प्रयास किया गया लेकिन स्वीकार नहीं किया गया। अंततः उन्होंने ऑनलाइन शिकायत कर दी। जिसके बाद थाना प्रभारी भड़क गए और आवेदनकर्ता परिवार को टारगेट बनाया। सांसद मनीष जायसवाल ने डीआईजी से मिलने के पश्चात जानकारी देते हुए बताया कि आवेदन स्वीकार नहीं करने पर आवेदनकर्ता और पुलिस के बीच तू- तू, मैं- मैं भी हुई। इसी दौरान थाना ने केस करने और परिवार को बर्बाद करने की धमकी देकर वापस कर दिया। घटना 12 मई 2025 की है। पुलिस ने उसी दिन मूलचंद साव के पुत्र शारदानंद कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसके ऊपर सरकारी काम में बाधा का आरोप लगाया गया है। सांसद मनीष जायसवाल ने जानकारी देते हुए कहा कि थाना प्रभारी ने आरोप लगाया है कि उसके साथ गलत व्यवहार किया गया। थाने का समान फेंक दिया गया। ऐसे में यह भी सवाल खड़ा होता है कि थाने में घुस कर एक साधारण व्यक्ति आखिर कैसे कानून विरोधी काम किया और पुलिस ने उसे यहां से जाने कैसे दे दिया। सांसद मनीष जायसवाल ने पूरे मामले की निष्कर्ष जांच करने की मांग की है। वहीं पीड़ित परिवार का करना है कि एक पढ़ने- लिखने वाले लड़के के कैरियर के साथ पुलिस ने खिलवाड़ किया है। ऐसे में उन्होंने न्याय की गुहार लगाई है। हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने डीआईजी संजीव कुमार से कहा है कि उक्त पूरे घटना की सीसीटीवी कैमरे के जरिए जांच कराया जाए। इन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया है कि जहां एक और पुलिस पीपुल फ्रेंडली होने का दावा करती है तो दूसरी ओर एक पढ़े-लिखे लड़के को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जा रहा है। जिस कारण लोगों का विश्वास उठता जा रहा है।

Leave a Comment