बिना दहेज के विवाह स्वीकार कर समाज को दिया सकारात्मक सन्देश

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

दुमका : अक्सर शादियों में दहेज और रकम को लेकर चर्चाएं होती हैं। दुल्हन पक्ष से मिलने वाले उपहार और धनराशि को समाज में प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता है। लेकिन दहेज प्रथा को खत्म करने का संकल्प लेते हुए दूल्हे के पिता ने अपने बेटे की शादी को दहेज मुक्त करने की मुहिम चलाई। बता दें की दूल्हा यशपाल रजक, पिता रौशन रजक, ग्राम इटबंधा पोस्ट बड़ीरणबहियार थाना रामगढ़ जिला दुमका के निवासी हैं। दूल्हा यशपाल रजक ने बताया मैं और मेरे परिवार के लोग बिना एक रुपए लिए शादी स्वीकार किया। क्योंकि उनका मानना है कि दहेज लेना अभिशाप है। दूल्हे ने बताया कि उनके पिताजी रोशन रजक का कहना है कि दहेज के कारण कितनी बेटियों को धरती में पैर रखने से पहले पेट में ही मार दिया जाता है। कितने बेटियों की शादी दहेज के कारण सफल नहीं हो पाती है। कितनी ही बेटियों की शादी के पश्चात भी घर उजाड़ जाता है। वर्तमान समय में दहेज रूपी जहर देश में व्यापक रूप से फैला हुआ है। इस बाबत रोशन रजक ने कहा कि हम सभी परिवार का यह विचार है कि दहेज हमारे देश में समाप्त हो जाए। दहेज के विरुद्ध एक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और यही कारण है कि इसकी शुरुआत हम सभी अपने घर से ही किए। दूल्हा यशपाल रजक तथा उनके पिता रोशन रजक ने समाज को यह संदेश दिया कि दहेज मुक्त शादी स्वीकार की जाए ताकि एक गरीब और असहाय की बेटी भी शादी धूमधाम से कर पाने में सक्षम हो सके। आगे उन्होंने कहा कि दहेज क्या है यह उसे पिता से पूछा जाए जिनकी जमीन भी चली गई और बेटी भी चली गई।इसलिए दूल्हे के परिवार ने बिना दहेज के विवाह करने का यह ऐतिहासिक फैसला लिया है।दोनों पक्षों ने समाज में एक दूसरे के साथ रिश्ता निभाने का संकल्प लिया। किसी पक्ष की ओर से कोई दहेज की मांग नहीं की गई। दहेज प्रथा का घोर विरोध करते हुए रौशन रजक ने कहा कि दुल्हन ही दहेज है। दूल्हे का कहना है, हम खुद सक्षम हैं और दहेज जैसी कुप्रथाओं को मिटाना हमारी जिम्मेदारी है। जब शिक्षित लोग इस बदलाव की शुरुआत करेंगे, तभी समाज आगे बढ़ेगा। दूल्हे के इस ऐतिहासिक फैसले से सभी लोगों ने सराहना की। पिता रौशन रजक ने बताया कि आज मेरे पुत्र की शादी के लिए छेका अथवा तिलक मंगलवार को संपन्न हुआ।

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