रांची: झारखंड अनुबंध महाविद्यालय शिक्षकेत्तर कर्मचारी मोर्चा ने सोमवार को राजधानी रांची स्थित राजभवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन किया। मोर्चा के सैकड़ों सदस्यों ने हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर अपनी वर्षों पुरानी मांग, स्थायी समायोजन, के प्रति अपनी आवाज़ उठाई। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे कई वर्षों से अनुबंध पर कार्यरत हैं, लेकिन सरकार ने अब तक उनकी सेवाओं को स्थायी करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
प्रदर्शनकारियों ने जानकारी दी कि इस मामले का समाधान पिछले दो से ढाई वर्षों से लंबित है। 3 दिसंबर 2022 को सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका द्वारा एक पत्र जारी किया गया था, जिसमें सभी अंगीभूत महाविद्यालयों और स्नातकोत्तर विभागों को यह निर्देश दिया गया था कि वे उन शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की जानकारी उपलब्ध कराएं, जो पिछले पांच वर्षों या उससे अधिक समय से संविदा (अनुबंध) पर कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय ने न्यायिक समिति की अनुशंसा के आलोक में इन कर्मियों के स्थायीकरण पर विचार करने के लिए 15 दिनों के भीतर विस्तृत प्रतिवेदन भेजने का आदेश दिया था।
हालांकि, मोर्चा के नेताओं का कहना है कि विश्वविद्यालय के पत्र के बावजूद अब तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है, जिससे कर्मचारियों में भारी असंतोष है। वे यह भी बता रहे हैं कि स्थायी समायोजन न होने के कारण वे न केवल सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, बल्कि उनके भविष्य की कोई गारंटी भी नहीं है।
प्रदर्शन के दौरान मोर्चा ने राज्य सरकार से स्थायीकरण की मांग करते हुए चेतावनी दी कि यदि उनके मुद्दों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो वे आंदोलन को और उग्र करने के लिए मजबूर होंगे।
वर्तमान में, सभी की नजर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर है। कर्मचारियों को उम्मीद है कि उनकी वर्षों की मेहनत और समर्पण को ध्यान में रखते हुए सरकार स्थायी समायोजन की दिशा में सकारात्मक निर्णय लेगी।