धन, आरोग्य और समृद्धि का पर्व — धनतेरस

झारखंड, 18 अक्टूबर 2025 — दीपोत्सव की शुरुआत का प्रतीक और समृद्धि का संदेश देने वाला धनतेरस पर्व आज पूरे देश में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर संथाल हूल एक्सप्रेस (हिंदी दैनिक) ने समस्त देशवासियों को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।

अख़बार के विशेष संदेश पोस्टर में स्वर्ण से भरे कलश, दीपक की ज्योति और हरियाली पृष्ठभूमि के साथ यह संदेश दिया गया —

“समस्त देशवासियों को धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएं — संथाल हूल एक्सप्रेस (हिंदी दैनिक)”

यह शुभकामना संदेश समृद्धि, आरोग्य और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है। अख़बार ने अपने संदेश में समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया है कि इस पर्व को स्वच्छता, सादगी और लोकसंस्कृति के अनुरूप मनाएं।


धनतेरस का आध्यात्मिक महत्व

धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, क्योंकि यह दीपावली से दो दिन पहले आने वाली त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। इसलिए यह दिन आरोग्य, आयु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

धनतेरस पर माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की पूजा करने की परंपरा है। लोग इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू, और नए वस्त्र जैसी शुभ वस्तुओं की खरीदारी करते हैं।


पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 7:16 बजे से रात 8:20 बजे तक है।

प्रदोष काल: 5:48 बजे से 8:20 बजे तक

वृषभ काल: 7:16 बजे से 9:11 बजे तक

इस समय में लक्ष्मी-कुबेर की आराधना करने से धन-संपत्ति की वृद्धि होती है। पूजा के समय दीपक, धूप, पुष्प, फल और मिठाई का भोग लगाकर “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये नमः” मंत्र का जाप करना शुभ माना गया है।


संथाल हूल एक्सप्रेस का संदेश

संथाल हूल एक्सप्रेस ने अपने शुभकामना संदेश में कहा —

“धनतेरस केवल धन की पूजा नहीं, बल्कि परिश्रम, स्वास्थ्य और सदाचार का उत्सव है। इस पावन दिन पर सबके जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और उजाला फैले।”

झारखंड एवं संथाल परगना क्षेत्र के पाठकों के बीच लोकप्रिय यह हिंदी दैनिक अख़बार लगातार सामाजिक जागरूकता, संस्कृति और लोकपरंपराओं के संवर्धन में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।


जनहित में अपील

संथाल हूल एक्सप्रेस ने नागरिकों से यह भी अपील की है कि वे त्योहार के दौरान पर्यावरण संरक्षण, दीपदान की पारंपरिक विधि, और स्थानीय कारीगरों के उत्पादों की खरीद को प्राथमिकता दें — ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जा सके।

“दीपों की यह पावन शृंखला सबके जीवन में प्रकाश और समृद्धि लाए — यही संथाल हूल एक्सप्रेस की शुभकामना है।”

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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