संथाल हूल एक्सप्रेस डेस्क
10 अक्टूबर को समाजवादी आंदोलन के प्रणेता, संघर्षशील नेता और जनता के नायक मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर पूरे देश में श्रद्धांजलि सभाएँ आयोजित की गईं।
“धरती पुत्र” कहे जाने वाले मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के ऐसे व्यक्तित्व रहे, जिन्होंने आम आदमी, किसान, मजदूर और पिछड़े वर्गों की आवाज़ को संसद से लेकर सड़कों तक बुलंद किया।
???? जननायक का जीवन परिचय
22 नवंबर 1939 को उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के सैफई गाँव में जन्मे मुलायम सिंह यादव का जीवन संघर्ष, समर्पण और जनसेवा का उदाहरण रहा।
शिक्षक से लेकर समाजवादी आंदोलनकारी और फिर उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने नेता जी ने राजनीति को जनता की सेवा का माध्यम बनाया।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित होकर की और समाजवादी पार्टी की स्थापना कर जनहित की आवाज़ को एक नए स्वरूप में ढाला।
????️ जनता के बीच के नेता
मुलायम सिंह यादव को जनता के बीच “नेता जी” के नाम से जाना जाता था।
उनकी राजनीति जाति, धर्म या वर्ग से ऊपर उठकर ग्राम्य भारत की वास्तविकता और सामाजिक न्याय पर आधारित थी।
वे हमेशा किसानों, युवाओं, शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे।
“नेता जी का मानना था — राजनीति जनता की सेवा का सबसे प्रभावी माध्यम है, बशर्ते वह ईमानदारी और निष्ठा से की जाए।”
????️ पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम
उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर देशभर में समाजवादी कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
लोगों ने कहा कि मुलायम सिंह यादव का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्ता से अधिक महत्वपूर्ण सिद्धांत और जनता की सेवा होती है।
झारखंड से लेकर उत्तर प्रदेश तक, कई स्थानों पर संगोष्ठियाँ, पुष्पांजलि समारोह और स्मृति सभाएँ आयोजित की गईं, जहाँ वक्ताओं ने कहा कि
“नेता जी की सादगी, संघर्ष और समर्पण आज के नेताओं के लिए एक आदर्श है।”
???? विचारधारा जो आज भी प्रासंगिक है
मुलायम सिंह यादव का सपना था —
“एक ऐसा भारत, जहाँ समाज का हर वर्ग — चाहे वह किसान हो, मजदूर, युवा या महिला — समान अवसर और सम्मान पाए।”
आज भी जब राजनीति में वैचारिक संघर्ष और सामाजिक असमानताएँ बनी हुई हैं, नेता जी की समाजवादी विचारधारा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक प्रतीत होती है।
मुलायम सिंह यादव सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि विचार और मूल्य के प्रतीक थे।
उनकी ईमानदारी, दूरदृष्टि और जनता के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें भारतीय राजनीति का “अमर जननायक” बना दिया।
“नेता जी भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आदर्श, संघर्ष और समाजवादी सोच सदैव जीवित रहेंगे।”