रावण दहन उत्सव समिति और महादेव फाउंडेशन द्वारा भव्य रावण दहन कार्यक्रम का आयोजन

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची: बुराई पर अच्छाई की जीत को दशहरा के तौर पर मनाई जाती है परंपरा के अनुसार इस दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है । इसी बीच राजधानी रांची के रातु रोड स्थित बिड़ला मैदान में रावण दहन उत्सव समिति और महादेव फाउंडेशन की ओर से भव्य रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें काफी संख्या में लोगों की उपस्थिति देखने को मिली।

सांस्कृतिक कार्यक्रम ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया
आयोजन की शुरुआत सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुई। मंच पर स्थानीय कलाकारों ने रामायण प्रसंग और पारंपरिक नृत्य-गीत प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। राम-सीता, लक्ष्मण और हनुमान की झांकियों ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद लेते नजर आए।

रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का दहन
शाम होते ही ही रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों में अग्नि प्रज्ज्वलित की गई।पुतले धू-धू कर जलने लगे और पूरा मैदान रोशनी और आतिशबाज़ी से गूंज उठा। इस दृश्य को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से भी भारी संख्या में लोग पहुंचे थे।

दशहरा समाज के लिए संदेश
समारोह के मुख्य संरक्षक मृत्युंजय सिंह ने इस अवसर पर कहा दशहरा का यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि समाज को गहरा संदेश देता है। जैसे भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर उसके अहम और दुराचार को समाप्त किया, वैसे ही हमें भी अपने भीतर मौजूद बुराइयों और दुर्गुणों को त्यागना चाहिए। यही इस पर्व का वास्तविक उद्देश्य है।उन्होंने आगे कहा कि दशहरा हमें यह सीख देता है कि अंततः अच्छाई की ही विजय होती है, चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न लगे।

श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी
बिड़ला मैदान में रावण दहन कार्यक्रम को देखने के लिए महिलाओं, पुरुषों और बच्चों की भारी भीड़ उमड़ी। मैदान जय श्रीराम और हनुमान के जयकारों से गूंज उठा। बच्चों के लिए यह अवसर विशेष उत्साह का रहा, वहीं बुजुर्गों ने इसे धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बताया।

प्रशासनिक व्यवस्था
कार्यक्रम को लेकर प्रशासन और आयोजकों की ओर से सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मैदान में पुलिस के जवानों की तैनाती की गई थी और जगह-जगह बैरिकेडिंग कर भीड़ को नियंत्रित किया गया।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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