हजारीबाग को आयुर्वेद चिकित्सा उपचार में मिला बड़ी सौगात, जरूरतमंदों को होगी बड़ी राहत : मनीष जायसवाल
संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
हजारीबाग : सोमवार को विश्व आयुर्वेद दिवस बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। विश्व आयुर्वेद दिवस के मौके पर स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली में से एक बेहद कारगर आयुर्वेदिक उपचार में शुमार पंचकर्म विधि चिकित्सा हजारीबाग में शुरू होने से यहां के जरूरतमंद मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। मौके पर बतौर मुख्य अतिथि के रूप में हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल शामिल हुए दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुरुआत कराया एवं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के जनक वेद भगवान धन्वंतरि को स्मरण किया एवं आयुष चिकित्सा से जुड़े चिकित्सा और योग गुरुओं को संबोधित किया। इसी कार्यक्रम से सांसद मनीष जायसवाल ने पंचकर्म चिकित्सा विधि का फीता काटकर विधिवत शुभारंभ भी कराया। यहां पंहुचने पर सांसद मनीष जायसवाल का आयुष विभाग द्वारा फूल माला पहनाकर और अंग-वस्त्र भेंटकर भव्य स्वागत किया गया। कार्यक्रम में आयुर्वेद के महत्व और इसके आधुनिक जीवन में बढ़ते उपयोग पर विस्तृत चर्चा हुई। मौके पर सांसद मनीष जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद केवल उपचार ही नहीं, बल्कि एक स्वस्थ जीवनशैली का मार्गदर्शन भी करती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में लोग प्राकृतिक चिकित्सा की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं और आयुर्वेदिक उपचार पद्धति वैश्विक स्तर पर लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। सांसद मनीष जायसवाल ने कहा कि आयुर्वेद एक बेहद ही कारगर चिकित्सा पद्धति है और इस नोबल पैसे का व्यापक प्रचार प्रसार जरूरी है। प्रिवेंशन इस बेटर थन क्योर के सिद्धांत को आम जनों तक हम सभी को मिलकर पहुंचना चाहिए ताकि समय रहते लोगों को बीमारियों से निजात दिलाई जा सके। हजारीबाग जिला आयुष विभाग द्वारा जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. एस. एन. तिवारी द्वारा सांसद मनीष जायसवाल के मीडिया प्रतिनिधि रंजन चौधरी को पंचकर्म भवन में संसाधन उपलब्ध कराने हेतु लगातार आवाज उठाने के लिए शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर उनका सम्मान किया तथा उनसे ऐसे ही जनहित के मुद्दे को उठाते रहने का आग्रह किया। जिला आयुष चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एस एन तिवारी, जिला नोडल आयुष पदाधिकारी डॉक्टर आनंद कुमार शाही सहित आयुर्वेद चिकित्सकों और विशेषज्ञों एवं योग शिक्षकों ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक औषधियों के प्रयोग से रोगों की रोकथाम और उपचार के महत्व पर प्रकाश डाला।