राँची
सरला बिरला विश्वविद्यालय में आज “ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजीज फॉर अ सस्टेनेबल एनवायरमेंट” विषय पर एक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) की शुरुआत हुई। यह कार्यक्रम 7 जुलाई से 11 जुलाई 2025 तक चलेगा, जिसमें सतत ऊर्जा प्रणालियों के प्रति जागरूकता और क्षमतावर्धन को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस एफडीपी का आयोजन मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग और सिविल एवं एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग विभाग के सहयोग से आईक्यूएसी और इंस्टीटूशन इनोवेशन काउंसिल (IIC) द्वारा किया जा रहा है।
कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में एसबीयू के माननीय कुलपति प्रो सी जगनाथन ने ऊर्जा और सततता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अकादमिक समुदाय को वैश्विक हरित परिवर्तन में सक्रिय योगदान करने के लिए प्रेरित किया। माननीय महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक ने बदलती जलवायु नीतियों का उल्लेख करते हुए प्रतिभागियों से अनुसंधान को राष्ट्रीय सततता प्राथमिकताओं के अनुरूप आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
प्रो. पंकज कुमार गोस्वामी, डीन, फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कंप्यूटर साइंस, ने ऊर्जा की भूमिका को रेखांकित करते हुए शिक्षकों और शोधकर्ताओं से हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने का सुझाव दिया।
एफडीपी के संयोजक डॉ. सागर सारंगी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. वी.एन.एल. दुर्गा ने प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र के दौरान देश के प्रमुख शोधकर्ताओं द्वारा विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन किया गया।
डॉ. संतोष कुमार साहू, एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी मद्रास ने “भारत के विनिर्माण क्षेत्र में कार्बन मूल्य निर्धारण” विषय पर व्याख्यान दिया। इसके अलावा, डॉ. बसुदेव प्रधान, असिस्टेंट प्रोफेसर, केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने “सतत पर्यावरण के लिए सौर फोटोवोल्टेक प्रौद्योगिकी” पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने सौर नवाचारों की भूमिका का उल्लेख किया।
इस एफडीपी में लगभग 200 प्रतिभागियों ने पूरे देश से ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया है। कार्यक्रम के आयोजन पर एसबीयू के माननीय प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान और माननीय राज्यसभा सांसद डॉ. प्रदीप कुमार वर्मा ने शुभकामनाएं प्रेषित की हैं।
इस प्रकार, “ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजीज फॉर अ सस्टेनेबल एनवायरमेंट” विषय पर आयोजित यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम न केवल शिक्षण में नवाचार को बढ़ावा देगा, बल्कि सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने का अवसर भी प्रदान करेगा।
