- (पाकुड़), प्रतिनिधि
जिले के महेशपुर थाना क्षेत्र के नंदनपाड़ा में पत्रकार निर्मल कुमार पर हुए हमले व छीनाझपटी के मामले में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बुधवार की दोपहर खबर कवरेज के दौरान एक ठेकेदार के मुंशी द्वारा पत्रकार पर जानलेवा हमला किया गया। इसके बाद पीड़ित पत्रकार की ओर से थाने में एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें मारपीट, मोबाइल और बाइक की चाबी छीनने की बात कही गई है।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि घटनास्थल पर मौजूद ठेकेदार के मुंशी ने पलटवार करते हुए पत्रकार पर ही रुपये मांगने का झूठा आरोप लगाते हुए दूसरी ओर से भी एफआईआर दर्ज करवा दी। पुलिस ने बिना गहराई से जांच किए दोनों पक्षों पर मामला दर्ज कर दिया, जिससे इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं।
खुलेआम घूम रहा है अभियुक्त, पुलिस बेपरवाह—–
पत्रकार पर हमले के 24 घंटे बाद भी मुख्य अभियुक्त खुलेआम अंबेडकर चौक पर घूमता देखा गया, जबकि थाना पुलिस गिरफ्तारी में विफल रही। ऐसे में पुलिस की निष्क्रियता ने न केवल पत्रकार सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि क्या थाना अब प्रभावशाली लोगों के इशारों पर काम करने लगा है?
सोशल मीडिया पर उठा न्याय की मांग का तूफान—-
इस गंभीर मामले को लेकर वर्किंग जनरलिस्ट्स ऑफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष सहित राज्य के कई वरिष्ठ पत्रकारों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, दुमका डीआईजी, पाकुड़ एसपी और अन्य अधिकारियों को टैग कर कार्रवाई की मांग की है। सभी ने एक स्वर में कहा कि पत्रकारों पर इस तरह के हमले लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है और ऐसे मामलों में जल्द से जल्द कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
*क्या होगा ‘सत्यमेव जयते’?——-*
अब सवाल यह उठता है कि क्या सत्य की विजय होगी या फिर प्रभावशाली ठेकेदार और उनके मुंशी के इशारे पर पुलिस कार्रवाई करेगी? महेशपुर थाना की निष्पक्षता और पाकुड़ जिला प्रशासन की संवेदनशीलता की असली परीक्षा अब शुरू हुई है।