वट सावित्री व्रत महोत्सव 26 मई को पर्व विशेष आचार्य संदीप शास्त्री कौंडिल्य

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

टाटीझरिया : प्रखंड क्षेत्र के झरपो, भराजो, खैरा, टाटीझरिया, डहरभंगा, डूमर, धरमपुर बेड़म आठों पंचायत तथा हजारीबाग जिले के 16 प्रखंडों में सौभाग्वती महिलाओं द्वारा हरेक वर्ष वट वृक्ष की पूजा कर वट सावित्री व्रत महोत्सव मनाया जाता है। जो कि इस वर्ष पंचांग मतानुसार आचार्य संदीप शास्त्री कौंडिल्य ने पूछे जाने पर कहा कि अखंड सौभाग्वती प्रदान करने वाला वट सावित्री व्रत इस बार 26 मई 2025 को प्रात : 4:00 बजे से दिन के 11 बजे तक ही पंचांग मतानुसार शुभ मुहूर्त में मनाई जानी चाहिए। इस ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि है। इस दिन दर्श अमावस्या का भी योग बन रहा है। सुहागन महिलाएं इस रोज क्षेत्री आचार्य पुरोहितों ब्राह्मणों द्वारा अपने समस्त परिवार के लिए धन – धान्य, सुख – समृद्धि, प्रगति शांति एवं अपनी पति की आरोग्य प्राप्ति लंबी आयु अनन्य इच्छित मनोकामनाओं की प्राप्ति को लेकर सावित्री सत्यवान की मूर्ति या फोटो रख वट वृक्ष के समीप पूजन करती है और वट वृक्ष में 5,7,11,21,31,51,54,108 बार कलावा लपेट परिक्रमा कर सावित्री सत्यवान की कथा श्रवण कर आरती प्रार्थना पूजा विसर्जन कर अपने घर को आती है और अपने पति के माथे (ललाट) पर ईश्वर एवं यमराज के आशीर्वाद रूपी साक्ष्य मानकर स्वयं हाथों से तिलक, कलाई में रक्षा सूत्र लाल कलावा बांधकर पंखा से हवा देती है। और विनती करती है कि प्रभु हमारे स्वामी की रक्षा कर हमे सौभाग्यवती सावित्री के जैसा ही वरदान दे।

जाने क्या है व्रत विधि

सुबह जल्दी उठे घर की साफ सफाई शौच आदि कर स्नान करे तथा व्रत करने वाले स्थान की साफ सफाई करे। इस व्रत में बरगद के पेड़ का विशेष महत्व होता है। सावित्री सत्यवान की पूजा कर वट वृक्ष में जल चढ़ाए। वट वृक्ष को लाल धागे से बांधे और 7, 11, 21, 31, 51, 54, 108 यथाशक्ति परिक्रमा करे। व्रत कथा का पाठ करे या सुने और अंत में आरती करे। गरीबों और ब्राह्मणों को दान देकर आशीर्वाद प्रदान करे। भूल वश भी अपने जीवन में कभी कभी भी गौ, ब्राह्मण, भगाना, भगिनी, गुरु, माता पिता, सासु मां- ससुर, पति (स्वामी) ज्येष्ठ, बड़े बुजुर्गों की निन्दा, चुगली, हंसी जैसे कृत्य कर उपहास नहीं करे। इस दिन भूखे को अन्न, प्यासे को जल, नंगे को वस्त्र दान करे।
जाने पूजा करने का मंत्र

अवैध्यम् च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते पुत्रान् पौत्राश्च सौख्यं च गृहाणाअर्घ्यं नमोस्तुते

ॐ भूर्भुवः स्व : तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात

वट सिञ्चामि ते मूलं सैलिलेमृतोप्मै : यथा शाखाप्रशाखावृद्धोस्मि त्वं महितले स्वामि पुत्रैश्च पौत्रैश्च संपन्न कुरु मां सदा

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