संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता।
बोरियो:- केंद्र सरकार के सरना धर्म कोड और आदिवासी धर्म कोड की अनदेखी करते हुए जातिगत जनगणना कराने के निर्णय ने झारखंड की राजनीति में उबाल ला दिया है। झामुमो ने स्पष्ट शब्दों में ऐलान कर दिया है कि जब तक आदिवासी समाज को अलग पहचान नहीं दी जाती, तब तक राज्य में जातिगत जनगणना नहीं होने दी जाएगी।इसी को लेकर बोरियो प्रखंड के अंतर्गत मोरंग नदी के समीप झामुमो जिला कमेटी की अहम बैठक जिलाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक का संचालन जिला सचिव सुरेश टुडू ने किया। इसमें आगामी 9 मई, शुक्रवार को जिला मुख्यालय पर आयोजित होने वाले एक दिवसीय धरना प्रदर्शन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। बैठक को संबोधित करते हुए बोरियो विधायक एवं झामुमो केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य धनंजय सोरेन ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, झारखंड में बिना सरना-आदिवासी धर्म कोड लागू किए जातिगत जनगणना कराना आदिवासी अस्मिता पर कुठाराघात है। झामुमो इसका हर स्तर पर विरोध करेगा। यह हमारी पहचान, अस्तित्व और अधिकार की लड़ाई है। जिलाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह ने कहा कि, भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना का ऐलान तो कर दिया, लेकिन झारखंड विधानसभा से पारित सरना कोड विधायक को 5 साल बीत जाने के बाद भी मंजूरी नहीं दी। इससे भाजपा की आदिवासी विरोधी मानसिकता उजागर होती है। इसलिए 9 मई को झामुमो कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेंगे और जोरदार प्रदर्शन करेंगे। जिला उपाध्यक्ष संजीव शामु हेम्ब्रम ने भाजपा पर दोहरी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा, भाजपा ‘मुँह में राम, बगल में छुरी’ वाली राजनीति कर रही है। एक ओर धर्म की बात करती है, तो दूसरी ओर आदिवासी समाज को धर्म के दायरे से ही बाहर रखना चाहती है। लेकिन झामुमो यह अन्याय नहीं सहेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि जिले के सभी प्रखंडों से सैंकड़ों की संख्या में झामुमो समर्थक जिला मुख्यालय पहुंचेंगे और शांतिपूर्ण मगर प्रभावी विरोध दर्ज कराएंगे। बैठक में जिला परिषद अध्यक्ष मोनिका किस्कू, झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य संजय मिश्रा, शाहजहाँ अंसारी, अमरनाथ यादव, राजाराम मरांडी, मुजीबुर रहमान, अखलाकुर रहमान, सुरेंद्र यादव, विधायक प्रतिनिधि मो मारूफ उर्फ गुड्डू और पूर्व केंद्रीय समिति सदस्य नजरुल इस्लाम समेत जिले के सभी प्रखंडों और नगर इकाइयों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
क्या है मुद्दा?
झारखंड विधानसभा से पास हुआ सरना-आदिवासी धर्म कोड विधेयक वर्षों से केंद्र में लंबित। भाजपा सरकार ने किया जातिगत जनगणना का एलान, लेकिन आदिवासी धर्म कोड की अनदेखी। झामुमो ने इसे बताया आदिवासी समाज के साथ विश्वासघात। 9 मई को जिला मुख्यालय पर होगा निर्णायक प्रदर्शन अब सबकी निगाहें 9 मई पर टिकी हैं, जब झामुमो एकजुट होकर आदिवासी समाज की आवाज को बुलंद करने सड़कों पर उतरेगा। क्या यह विरोध केंद्र को निर्णय पर पुनर्विचार को बाध्य करेगा? यह आने वाला समय बताएगा।