पाकुड़ संवाददाता
पाकुड़: झारखंड के पाकुड़ जिले में स्थित सिधू कान्हू मुर्मू पार्क, जो संथाल विद्रोह के नायकों सिधू और कान्हू की स्मृति में बनाया गया एक ऐतिहासिक स्थल है, आजकल अपनी बदहाल स्वच्छता व्यवस्था के कारण चर्चा में है। यह पार्क न केवल स्थानीय लोगों के लिए मनोरंजन का केंद्र है, बल्कि आसपास के जिलों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण आकर्षण रहा है। हालांकि, हाल के दिनों में पार्क की स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है, जिससे इसकी ऐतिहासिक गरिमा पर सवाल उठने लगे हैं।
गंदगी का अंबार, सुविधाएं जर्जर—
पार्क में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, बेंचों पर गंदगी फैली है और कई झूले टूट चुके हैं। बारिश के दिनों में कीचड़ और गंदगी के कारण स्थिति और भी खराब हो जाती है। कभी स्वच्छ और सुंदर दिखने वाला यह पार्क अब उपेक्षा का शिकार हो चुका है। पर्यटकों का कहना है कि गंदगी के कारण वे यहां आने के बाद निराश होकर लौटते हैं।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों में आक्रोश—
स्थानीय निवासियों और पर्यटकों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि यह पार्क सिर्फ एक सैरगाह नहीं, बल्कि संथाल विद्रोह के शहीदों की यादों से जुड़ा एक पवित्र स्थल है। एक पर्यटक ने कहा, “यहां आकर गंदगी देखकर बहुत बुरा लगता है। यह हमारी धरोहर है, इसे इस हाल में नहीं छोड़ा जाना चाहिए।” लोगों का आरोप है कि प्रशासन इसकी देखरेख में पूरी तरह नाकाम रहा है।
प्रशासन पर लापरवाही का आरोप—
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पार्क में सफाई कर्मियों की नियुक्ति के बावजूद स्वच्छता की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही। एक निवासी ने बताया, “हमने बार-बार गुहार लगाई, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती।”
सरकार से मांग, पार्क को मिले नया जीवन—
लोगों की मांग है कि पार्क की नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए, कचरा निस्तारण की व्यवस्था हो और टूटी-फूटी सुविधाओं को दुरुस्त किया जाए। उनका कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह ऐतिहासिक धरोहर गंदगी के ढेर में तब्दील हो जाएगी।
सिधू कान्हू मुर्मू पार्क की बदहाली को लेकर अब सवाल उठ रहा है कि प्रशासन कब तक चुप्पी साधे रहेगा। क्या यह पार्क अपनी खोई हुई शान दोबारा हासिल कर पाएगा, या फिर उपेक्षा की भेंट चढ़ जाएगा? लोगों की नजर अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी है।