राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डॉ आशा लकड़ा द्वारा सीयूजे में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता

रांची:अनुसूचित जनजाति आयोग की सदस्य डा. आशा लकड़ा ने सेंट्रल युनिवर्सिटी झारखंड में आयोजित समीक्षा बैठक में दिशा निर्देश देते हुए कहा कर्मचारियों व छात्र-छात्राओं के लिए इंटरनल ग्रीवांस सेल बनाएं, जिसमें एक एसटी व एक महिला सदस्य हो ताकि विश्वविद्यालय में अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामलों का निष्पादन किया जा सके।  उन्होंने बताया कि कुल तीन चरणों में यूनिवर्सिटी से संबंधित मामलों की समीक्षा की गई। डा. आशा लकड़ा ने बताया कि अजीत किसपोट्टा पूर्व में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे। वहां से स्थानांतरण होने के बाद उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड में योगदान दिया। उनकी ग्रेच्युटी के लिए केंद्रीय सेंट्रल यूनिवर्सिटी की ओर से अकाउंट डिटेल नहीं भेजा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर, कोरोना काल के दौरान डा. वाटर वे का निधन हो गया था। उनके आश्रितों को अब तक अनुकंपा आधारित नौकरी या किसी प्रकार का लाभ नहीं मिला। इसी प्रकार, दीपक कुमार एलडीसी के पद पर कार्यरत थे। उनकी मृत्यु हो चुकी है। फिर भी उनके आश्रितों को अनुकंपा आधारित नौकरी नहीं दी गई। शिक्षकेत्तर कर्मचारी सुमन रंजनी की भी मृत्यु हो चुकी है। नेहा जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थी। इनके निधन के बाद आश्रितों को न तो अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली और न ही अन्य लाभ। सेंट्रल युनिवर्सिटी प्रबंधन को तत्काल इन सभी मामलों में रिपोर्ट तैयार कर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग को भेजने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय स्तर पर नन टीचिंग स्टाफ के लिए कोई नियमावली नहीं बनाई गई है। विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति की गई है, लेकिन सहायक प्रोफेसर के पद खाली हैं। खासकर अनुसूचित जनजाति वर्ग के। इसी प्रकार, सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं की संख्या भी बहुत ही कम है। विश्वविद्यालय के कुलपति को निर्देश दिया गया है कि नन-टीचिंग स्टाफ के प्रोमोशन से संबंधित नियमावली तैयार करें। साथ ही अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के नामांकन के लिए प्रचार-प्रसार कराएं, ताकि संबंधित छात्रों को सेंट्रल युनिवर्सिटी में संचालित कोर्स व समय पर नामांकन से संबंधित जानकारी मिल सके। इसकेअलावा कुलपति को यूजीसी के गाइडलाइन के अनुसार, फी स्ट्रक्चर तैयार करने व छात्रवृत्ति का समय पर भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिल सके। यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे अनुसूचित जनजाति छात्र-छात्राओं के पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने का निर्देश दिया है, ताकि संबंधित छात्र नौकरी आदि से संबंधित इंटरव्यू में सफल हो सकें। इस दौरान डा. आशा लकड़ा ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी में कार्यरत एसटी प्रोफेसर, एसटी नन-टीचिंग स्टाफ व विश्वविद्यालय में अध्ययनरत एसटी छात्र-छात्राओं के साथ संवाद भी किया।

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