सियासी घमासान के बाद प्रशासन बैकफुट पर, गाजे बाजे के साथ निकला रामनवमी जुलूस
पाकुड़ डेस्क
झारखंड के पाकुड़ जिले में रामनवमी पर्व के अवसर पर शोभा यात्रा पर प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक ने विवाद को जन्म दे दिया है। अनुमंडल दंडाधिकारी, पाकुड़ के कार्यालय से जारी आदेश में विधि-व्यवस्था के संधारण का हवाला देते हुए जुलूस को अनुमति नहीं दी गई। इस फैसले के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिससे यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है।
प्रशासन का आदेश और कारण—
अनुमंडल दंडाधिकारी, पाकुड़ के गोपनीय शाखा से जारी ज्ञापांक 403/गो०, दिनांक 05.04.2025 के अनुसार, रामनवमी आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रसन्ना मिश्रा ने 4 अप्रैल को आवेदन देकर 6 अप्रैल को शोभा यात्रा निकालने की अनुमति मांगी थी। इस शोभा यात्रा में पाकुड़ ग्रामीण क्षेत्र के कई गांवों- कोलाजोड़ा, समसेरा, प्रहरकोल, गोकुलपुर, नगरनवी, झिकरहार्टी, पिरलीपुर, बहिरग्राम और चेंगाडांगा के लोगों के शामिल होने की बात कही गई थी। आवेदन में पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र, धार्मिक ध्वज और ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग का उल्लेख था।
हालांकि, थाना प्रभारी, पाकुड़ नगर से मांगे गए जांच प्रतिवेदन के अभाव, शोभा यात्रा में शामिल लोगों की संख्या का स्पष्ट उल्लेख न होने और लाइसेंस संबंधी कागजात प्रस्तुत न करने के कारण प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदेश में कहा गया कि इसकी अवहेलना करने पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी। थाना प्रभारी और अंचल अधिकारी को विधि-व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश भी दिया गया।
स्थानीय स्थिति और श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया—
प्रशासन के इस फैसले के बाद नगरनबी में रामनवमी शोभा यात्रा को रोक दिया गया। बजरंग दल के कार्यकर्ता संदीप मंडल ने बताया कि पुलिस ने गाड़ियों और डीजे को रोकने का आदेश दिया, जिसके चलते श्रद्धालुओं को पैदल ही पाकुड़ पहुंचकर जुलूस में शामिल होना पड़ा। पुलिस ने डीजे पर रोक का हवाला देते हुए कहा कि यह न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप है। हालांकि, छोटे स्तर पर कुछ गांवों में शांतिपूर्वक जुलूस निकाले गए, लेकिन बड़े पैमाने पर आयोजन संभव नहीं हो सका।
राजनीतिक नेताओं का तीखा हमला—-
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर लिखा, “पाकुड़ जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को रामनवमी का जुलूस निकालने से रोकने के लिए आधी रात को जारी किया गया आदेश हिंदू आस्था पर सीधा प्रहार है। पाकुड़ में जब ताजिए निकल सकते हैं, तो फिर रामनवमी का जुलूस क्यों नहीं? सरकार ने आज रामनवमी पर रोक लगाई है, कल दीपावली और दुर्गा पूजा पर भी रोक लगा सकती है।” उन्होंने इसे हिंदू पर्वों के खिलाफ एक चलन करार देते हुए राज्य सरकार पर विशेष समुदाय को तरजीह देने का आरोप लगाया।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, “पाकुड़ में प्रशासन द्वारा ग्रामीणों के रामनवमी जुलूस पर रोक लगाना राज्य सरकार की हिंदू-विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। हिंदू/मूलवासी समाज शांतिप्रिय है, लेकिन अगर सरकार को लगता है कि वे रामनवमी शोभा यात्रा को सुरक्षा तक नहीं दे सकते, तो फिर क्या कहें?” सोरेन ने यह भी सवाल उठाया कि क्या झारखंड में हिंदुओं के धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
विवाद का बढ़ता दायरा
यह पहली बार नहीं है जब झारखंड में धार्मिक आयोजनों को लेकर विवाद हुआ हो। पिछले वर्षों में भी रामनवमी और अन्य पर्वों के दौरान विधि-व्यवस्था के नाम पर प्रशासनिक कार्रवाइयों की आलोचना होती रही है। इस बार पाकुड़ में हुई घटना ने एक बार फिर इस मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। जहां प्रशासन इसे नियमों का पालन और शांति बनाए रखने की कोशिश बता रहा है, वहीं विपक्षी नेता इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहे हैं।
पाकुड़ एसपी से दी सफाई—
वहीं पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि जिले में जितने भी पारंपरिक अखाड़े हैं, वे सभी शांतिपूर्वक जुलूस निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिले में किसी प्रकार की अशांति की स्थिति नहीं है. सभी इलाकों में दंडाधिकारी और पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके, उन्होने सोशल मिडिया पर अपनी अच्छी विधि व्यवस्था को सूचना दी,
फिलहाल, प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। लेकिन इस घटना के बाद स्थानीय कमिटि को रामनवमी जुलूस निकालने की अनुमति दे दी गई स्थानीय स्तर पर पाकुड मे गाजे बाजे के साथ रामनवमी का जुलूस निकाला गया।