सचिवालयीन प्रक्रियाओं में देरी पर चिंता, रेलवे की दंड प्रणाली को आदर्श बताया

रांची। सचिवालयीन प्रक्रियाओं में लंबित मामलों और दंड प्रक्रिया की धीमी गति को लेकर एक गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। सरकारी कार्यप्रणाली में अक्सर छोटे-छोटे आरोपों के निपटान में वर्षों लग जाते हैं, जबकि भारतीय रेलवे की दंड प्रणाली को इस संदर्भ में एक आदर्श माना जा रहा है।

रेलवे में “बुकअप” प्रक्रिया के तहत छोटी गलतियों पर कर्मचारियों को वरीय मंडल परिचालन प्रबंधक (एसडीओएम) के कार्यालय में विशेष कुर्सी पर बैठकर प्रतीक्षा करनी होती है। यह प्रक्रिया मनोवैज्ञानिक रूप से इतनी प्रभावी होती है कि कर्मचारी भविष्य में गलती न दोहराने का संकल्प लेते हैं।

वर्तमान सचिवालयीन व्यवस्था में:

· फाइलों को जानबूझकर उलझाया या लटकाया जाता है
· छोटे आरोपों के निपटान में वर्षों लग जाते हैं
· अधिकांश मामलों में अंततः दोषमुक्ति मिल जाती है

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि राज्य प्रशासन में भी रेलवे जैसी प्रभावी दंड प्रणाली लागू की जाए, जहाँ छोटे-छोटे अपराधों के लिए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई हो, तो इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इससे न केवल न्याय की प्रक्रिया तेज होगी, बल्कि भविष्य में अनियमितताओं को रोकने में भी मदद मिलेगी।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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