तेजस्वी यादव जुटे समीकरण साधने में, कांग्रेस और VIP के बीच बनी मतभेद की स्थिति — लेफ्ट पार्टियां फार्मूले पर तैयार
पटना / संथाल हूल एक्सप्रेस विशेष रिपोर्ट:
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर खींचतान तेज हो गई है।
सूत्रों के अनुसार, राजद (RJD), कांग्रेस, वीआईपी (Vikassheel Insaan Party) और लेफ्ट पार्टियों (CPI, CPM, CPI-ML) के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति अभी नहीं बन सकी है।
मुख्य विवाद वीआईपी की सीट मांग और डिप्टी मुख्यमंत्री पद को लेकर है, जिसने पूरे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया है।
महागठबंधन में सीट बंटवारे का फॉर्मूला फंसा
सूत्रों के मुताबिक, राजद ने अपने हिस्से में लगभग 120 सीटों का दावा किया है, जबकि कांग्रेस 45 से अधिक सीटों की मांग कर रही है।
वहीं, VIP पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी 16 सीटों और एक डिप्टी CM पद की मांग पर अड़े हुए हैं।
एक सूत्र ने बताया —
“तेजस्वी यादव ने कांग्रेस और VIP के नेताओं से कई दौर की बातचीत की है, लेकिन सीट और पद के फॉर्मूले पर अभी सहमति नहीं बन सकी है।
VIP अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में मजबूत दावेदारी जता रही है।”
मुकेश सहनी ने रखी कड़ी शर्तें
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी, जिन्हें ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से जाना जाता है, ने स्पष्ट कहा है कि
उनकी पार्टी को कम सीटें मिलने पर भी वे डिप्टी CM पद का समझौता नहीं छोड़ेंगे।
उन्होंने कहा —
“हम गठबंधन में बराबरी की भूमिका चाहते हैं, सिर्फ सहायक पार्टी नहीं बनेंगे।
अगर हमारी ताकत को नज़रअंदाज़ किया गया, तो हम अपने राजनीतिक विकल्प खुले रखेंगे।”
कांग्रेस का रुख सख्त, नामांकन से पहले स्पष्टीकरण की मांग
कांग्रेस ने सीटों की संख्या से ज्यादा, महागठबंधन की नेतृत्व संरचना पर सवाल उठाया है।
कांग्रेस का रुख है कि जब तक मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद के नाम पर स्पष्टता नहीं होगी,
वह सीटों के अंतिम फार्मूले पर हस्ताक्षर नहीं करेगी।
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा —
“हम चाहते हैं कि गठबंधन का चेहरा एक हो, लेकिन जनता को भ्रमित न किया जाए।
हमें पहले यह पता चले कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा और क्या उपमुख्यमंत्री का पद किसी और को दिया जाएगा।”
⚙️ लेफ्ट पार्टियाँ फार्मूले पर राज़ी
महागठबंधन की सहयोगी वामपंथी पार्टियाँ (CPI, CPM, CPI-ML)
राजद द्वारा दिए गए सीट फार्मूले पर सहमत हैं।
लेफ्ट पार्टियों को कुल 24 सीटें दिए जाने का प्रस्ताव है,
जिनमें से अधिकांश सीटें 2020 के चुनाव में जीते गए क्षेत्रों में हैं — जैसे अरवल, भोजपुर, सीवान, दरभंगा, समस्तीपुर आदि।
???? पृष्ठभूमि: पिछली बार भी हुआ था विवाद
2020 के विधानसभा चुनाव में भी RJD और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान हुई थी।
कांग्रेस ने तब 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 सीटें ही जीत सकी थी।
इसी वजह से इस बार RJD नेतृत्व सीटों की संख्या घटाने पर जोर दे रहा है।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि उसे “राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते उचित प्रतिनिधित्व” मिलना चाहिए।
???? राजनीतिक समीकरण और दबाव
बिहार की राजनीति में इस बार का चुनाव खास है क्योंकि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के NDA छोड़ने के बाद बने नए गठबंधन समीकरणों में
महागठबंधन की एकजुटता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी चुनौती है।
राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार कहते हैं —
“बिहार में जातीय समीकरण और सीट शेयरिंग दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।
अगर कोई भी पार्टी असंतुष्ट होती है, तो वोट बंटने का खतरा बढ़ सकता है।
महागठबंधन के लिए ‘डिप्टी CM’ विवाद को तुरंत सुलझाना आवश्यक है।”
????️ तेजस्वी यादव कर रहे हैं मध्यस्थता
राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार बैठकों और संवाद के ज़रिए विवाद सुलझाने की कोशिश में हैं।
उन्होंने पटना स्थित अपने आवास पर कांग्रेस और VIP नेताओं के साथ एक बैठक की,
जिसमें उन्होंने कहा —
“महागठबंधन बिहार के लोगों की उम्मीद है, और कोई भी मुद्दा इतना बड़ा नहीं कि मिलकर हल न किया जा सके।”
आगे की रणनीति
सीट बंटवारे पर अंतिम घोषणा अगले सप्ताह तक हो सकती है।
कांग्रेस और VIP के प्रतिनिधि दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से परामर्श करेंगे।
RJD और लेफ्ट पार्टियाँ पहले ही अपने क्षेत्रवार उम्मीदवारों की सूची तैयार कर चुकी हैं।
सीट बंटवारे पर बना असमंजस, एकजुटता की परीक्षा
बिहार महागठबंधन के लिए यह सीट बंटवारे का पेच राजनीतिक एकता की सबसे बड़ी परीक्षा बन गया है।
अगर तेजस्वी यादव नेतृत्व कौशल दिखाकर इस विवाद को सुलझाने में सफल होते हैं,
तो यह गठबंधन चुनावी रणभूमि में NDA के लिए चुनौती पेश कर सकता है।
लेकिन अगर असंतोष गहराया, तो यह “महागठबंधन” 2025 के चुनाव से पहले ही मतभेद गठबंधन बन सकता है।