क्लासिक चेस के मंच पर फिर जगी पुरानी प्रतिद्वंद्विता, 12 गेमों की श्रृंखला में $412,000 की इनामी राशि दांव पर
सेंट लुईस (अमेरिका) / नई दिल्ली, विशेष रिपोर्ट:
शतरंज की दुनिया में एक बार फिर इतिहास दोहराया जा रहा है।
भारत के महान ग्रैंडमास्टर और पूर्व विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद और रूस के दिग्गज खिलाड़ी गैरी कास्परोव 26 साल बाद फिर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं।
दोनों खिलाड़ियों की यह बहुप्रतीक्षित भिड़ंत अमेरिका के सेंट लुईस क्लासिक चेस टूर्नामेंट में शुरू हो गई है।
एक बार फिर आमने-सामने: अनुभव बनाम रणनीति की टक्कर
शतरंज प्रेमियों के लिए यह मुकाबला सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि “बीते युग की पुनरावृत्ति” है।
1990 के दशक में आनंद और कास्परोव की प्रतिद्वंद्विता शतरंज की दुनिया का सबसे बड़ा आकर्षण हुआ करती थी।
कास्परोव ने 1995 में विश्व चैंपियनशिप फाइनल में आनंद को हराया था, जिसके बाद दोनों अलग-अलग दौर में शतरंज के शीर्ष पर रहे।
अब 26 साल बाद, दोनों दिग्गजों की चालें फिर से बोर्ड पर टकरा रही हैं —
और पूरी दुनिया की निगाहें उनके हर मूव पर टिकी हैं।
इनामी राशि और मुकाबले की संरचना
टूर्नामेंट में कुल $412,000 (लगभग 3.4 करोड़ रुपये) की इनामी राशि रखी गई है।
इसमें से $144,000 (लगभग 1.2 करोड़ रुपये) की राशि विशेष रूप से आनंद और कास्परोव के बीच खेले जाने वाले मैचों के विजेता के लिए निर्धारित की गई है।
टूर्नामेंट में कुल 12 गेम खेले जाएंगे, जिनमें क्लासिकल, रैपिड और ब्लिट्ज प्रारूप शामिल हैं।
विजेता को सबसे अधिक कुल अंक और निर्णायक जीतों के आधार पर चुना जाएगा।
इसके साथ ही विश्व नंबर 1 मैग्नस कार्लसन और भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर. प्रज्ञानानंद, गुकेश, और विदित गुजराती जैसे खिलाड़ी भी इस टूर्नामेंट में भाग ले रहे हैं।
आनंद बनाम कास्परोव: दिग्गजों की ऐतिहासिक प्रतिस्पर्धा
1990 से 2000 के बीच, शतरंज की दुनिया पर दो नामों का दबदबा रहा —
कास्परोव की आक्रामक शैली और आनंद की शांत रणनीतिक बुद्धिमत्ता।
कास्परोव, जो “चेस मशीन” के नाम से प्रसिद्ध हैं, ने कहा —
“आनंद के साथ खेलना हमेशा चुनौतीपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है।
वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो कभी हार नहीं मानते।”
वहीं, आनंद ने जवाब दिया —
“कास्परोव के खिलाफ खेलना मेरे करियर का सबसे कठिन और सबसे सीखने वाला अनुभव रहा।
अब दोबारा बोर्ड पर आमना-सामना होना एक सम्मान की बात है।”
दुनिया भर के प्रशंसकों में उत्साह
सेंट लुईस क्लब में चल रहे इस टूर्नामेंट का लाइव प्रसारण 40 से अधिक देशों में किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर “#AnandKasparovReturns” और “#ClashOfLegends” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
शतरंज प्रशंसकों का कहना है कि यह मुकाबला “ग्रैंडमास्टर युग की पुनः स्थापना” जैसा है।
“यह केवल दो खिलाड़ियों की भिड़ंत नहीं, बल्कि दो पीढ़ियों की सोच और रणनीति का संगम है।”
— अंतरराष्ट्रीय शतरंज विश्लेषक, जेनिफर शाहडे
रणनीति बनाम स्पीड: नया युग, पुरानी चालें
कास्परोव की चालों में अब भी वही पुरानी आक्रामकता झलकती है,
जबकि आनंद अपनी शांत और धैर्यपूर्ण रणनीति से मुकाबले को संतुलित रख रहे हैं।
पहले दो गेम ड्रा रहे, लेकिन तीसरे गेम में दोनों खिलाड़ियों ने ‘किंग्स इंडियन डिफेंस’ जैसी पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भारत के लिए गर्व का क्षण
भारत के लिए यह मुकाबला सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि गौरव का अवसर है।
विश्वनाथन आनंद ने भारत में शतरंज को लोकप्रिय बनाने में जो भूमिका निभाई, वह अमूल्य है।
आज गुकेश और प्रज्ञानानंद जैसे युवा खिलाड़ी उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं,
और यही वजह है कि आनंद की यह वापसी भारतीय खेल इतिहास में एक ‘लेगेसी मोमेंट’ मानी जा रही है।
इतिहास और भविष्य का संगम
26 साल बाद दो दिग्गजों की यह भिड़ंत शतरंज प्रेमियों के लिए किसी त्योहार से कम नहीं।
यह सिर्फ बोर्ड पर चालों की जंग नहीं, बल्कि दो युगों —
90 के दशक की क्लासिकल बुद्धिमत्ता और 2020 के दशक की आधुनिक गति — का टकराव है।
जो भी विजेता बने, लेकिन इस मुकाबले ने एक बात साफ कर दी है —
“शतरंज अब भी वह खेल है, जहाँ दिमाग की शांति और चालों की गहराई से इतिहास लिखा जाता है।”