पाकुड़ में फफूंद लगी मिठाइयाँ, एक्सपायर कोल्ड ड्रिंक बरामद — त्योहारों पर दिखी सख्ती, बाकी साल लापरवाही क्यों?
पाकुड़, 9 अक्टूबर | विशेष रिपोर्ट:
दीपावली और छठ जैसे त्योहारों के मद्देनजर पाकुड़ जिला प्रशासन ने खाद्य सुरक्षा को लेकर सक्रियता दिखाई है।
उपायुक्त श्री मनीष कुमार के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी श्री मनोज कुमार ने हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा और अमड़ापाड़ा क्षेत्रों में दर्जनों मिठाई दुकानों, किराना दुकानों और होटलों का औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए —
फफूंद लगी मिठाइयाँ,
एक्सपायर कोल्ड ड्रिंक्स,
हानिकारक रंगों का उपयोग,
फर्श और बर्तनों की गंदगी,
और लाइसेंस रहित होटल संचालन जैसे मामले दर्ज हुए।
इन सभी वस्तुओं को तत्काल नष्ट कराया गया और दुकानदारों को सख्त चेतावनी दी गई।
सुरक्षा सिर्फ त्योहारों में क्यों?
त्योहारों के मौसम में प्रशासनिक सक्रियता काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या आम दिनों में लोगों की सेहत की कोई कीमत नहीं?
खाद्य सुरक्षा का दायरा केवल दीपावली या छठ तक सीमित नहीं होना चाहिए।
गांवों और कस्बों में खुले में बिकने वाली मिठाइयाँ, पुराने तेल में तले पकवान, और बिना लेबल वाले खाद्य पदार्थ पूरे साल बेचे जाते हैं।
फिर भी, कार्रवाई केवल “त्योहारों के समय की जांच” तक ही सीमित रहती है — जिससे यह एक औपचारिक परंपरा बनकर रह गई है।
-निरीक्षण में सामने आए प्रमुख मामले
राखी स्वीट्स (बादल चौक) — फफूंद लगी मिठाई बरामद, तुरंत नष्ट।
मकबूल अंसारी (करीयोडीह) — जलेबी में हानिकारक रंग मिला, चेतावनी और नष्ट।
इकबाल अंसारी की दुकान — एक्सपायर सामान रखने पर नोटिस जारी।
अर्जुन किराना (लिट्टीपाड़ा) — 10 बोतल एक्सपायर कोल्ड ड्रिंक जब्त।
राजकुमार मंडल (लिट्टीपाड़ा चौक) — दुकान की सफाई हेतु निर्देश।
सोनू होटल (अमड़ापाड़ा) — बिना लाइसेंस संचालन, लाइसेंस लेने का निर्देश।

⚖️ कानूनी प्रावधान और दंड
खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी श्री मनोज कुमार ने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 और विनियम 2011 की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इसमें जुर्माना, लाइसेंस रद्द, और अभियोजन तक की कार्रवाई संभव है।
उन्होंने लोगों से भी अपील की —
“अपनी और अपने परिवार की सेहत के लिए केवल प्रमाणित व स्वच्छ खाद्य पदार्थ ही खरीदें। संदिग्ध वस्तुओं की सूचना तुरंत विभाग को दें।”
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि खाद्य जनित बीमारियाँ (Foodborne Diseases) सालभर फैलती हैं, न कि सिर्फ त्योहारों में।
सड़क किनारे मिठाई और नमकीन बेचने वाले छोटे विक्रेता, बिना रेफ्रिजरेशन के दूध उत्पाद बेचने वाले ठेले, और बिना पैकिंग वाले कोल्ड ड्रिंक — ये सभी स्वास्थ्य के लिए लगातार खतरा हैं।

त्योहारों में जांच और बाकी दिनों में चुप्पी, प्रशासनिक असंतुलन को दर्शाती है।
जरूरत है कि प्रत्येक माह रैंडम सैंपलिंग, लाइसेंस की सख्त निगरानी और जन शिकायत पोर्टल को सक्रिय किया जाए।
कानून से ज्यादा असरकारक है जनजागरूकता।
जब उपभोक्ता ही एक्सपायर डेट, लेबल और साफ-सफाई पर ध्यान देंगे, तब दुकानदारों में भी सुधार आएगा।
जनता को अपने अधिकार जानने होंगे — खाद्य सुरक्षा कानून के तहत कोई भी नागरिक संदिग्ध वस्तु की शिकायत सीधे एफएसडीए (Food Safety Department) को कर सकता है।
त्योहारों के मौसम में मिठाइयों की जांच सराहनीय है, परंतु यह पहल केवल दो हफ्तों की नहीं बल्कि 12 महीनों की जिम्मेदारी बननी चाहिए।
खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जनजीवन से जुड़ा विषय है — यह अभियान नहीं, व्यवस्था का हिस्सा होना चाहिए।
