रांची। झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कर्मयोगी वृहद जन सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन गुरुवार को हुआ। 9 से 17 सितंबर तक चले इस प्रशिक्षण में कुल 224 कर्मचारियों ने भाग लिया, जिनमें 126 प्राध्यापक और 98 गैर-शिक्षण अधिकारी-कर्मचारी शामिल थे। कार्यक्रम का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को नागरिक-केंद्रित शासन, सेवा उत्कृष्टता और पेशेवर नैतिकता के मूल्यों के साथ प्रशिक्षित करना था। यह कार्यक्रम क्षमता विकास आयोग, भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया है और पूरे देश में 7 लाख सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की योजना है। समापन सत्र में कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कहा कि कर्मयोग की अवधारणा श्रीमद्भागवत गीता से आई है और भक्ति योग, ज्ञान योग तथा कर्म योग के समन्वय से ही सच्चे कर्मयोगी बन सकते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय और देश के विकास के लिए इमोशनल कोशेंट और सोशल कोशेंट पर भी बल दिया। कुलसचिव के. कोसल राव ने कहा कि सरकारी कार्य को रूल-बेस्ड के साथ रोल-बेस्ड भी होना चाहिए ताकि विकास सही दिशा में हो। मास्टर ट्रेनर अब्दुल हलीम ने बताया कि देशभर के 15,000 मास्टर ट्रेनरों को इस मिशन के तहत प्रशिक्षित किया गया है। सीयूजे में प्रशिक्षण का संचालन चार मास्टर ट्रेनरों डॉ. बी.बी. मिश्रा, डॉ. प्रज्ञान पुष्पांजलि, अब्दुल हलीम और डॉ. भगवती देवी—ने किया। व्याख्यानों, केस स्टडीज़ और समूह गतिविधियों के जरिए प्रतिभागियों को इंटरैक्टिव और गहन अनुभव प्रदान किया गया।
समापन अवसर पर कुलपति ने सभी मास्टर ट्रेनरों को शॉल भेंट कर सम्मानित किया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे राष्ट्रीय कर्मयोगी मिशन के तहत संस्थागत क्षमता निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
