हजारीबाग/चतरा। हजारीबाग और चतरा जिलों की सीमा पर प्रस्तावित सीसीएल की महत्वाकांक्षी चंद्रगुप्त कोल परियोजना को लेकर भू-रैयतों की बड़ी बैठक 27 अगस्त को पचड़ा पंचायत भवन में हुई। बैठक में सैकड़ों की संख्या में विस्थापित होने वाले ग्रामीण जुटे और अपने अधिकारों की मांग को जोरदार ढंग से उठाया। बैठक की अध्यक्षता पचड़ा पंचायत के मुखिया व हजारीबाग जिला मुखिया संघ के सचिव महेश प्रसाद साव ने की। उन्होंने कहा कि यह परियोजना हजारीबाग के पचड़ा, चट्टी बरियातू, पेटो पंचायत और चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के उड़सु क्षेत्र में शुरू होने वाली है। इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना 28 अक्टूबर 2015 को जारी हुई थी। अब इस अधिसूचना को लागू हुए लगभग एक दशक बीत चुका है, लेकिन जमीन देने वाले रैयतों की मूल मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। ग्रामीणों ने साफ कहा कि उन्हें मुआवजा 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के अनुसार मिलना चाहिए। साथ ही विस्थापितों को रोजगार, मकान, कुआं, तालाब, बाउंड्री और अन्य बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए। बैठक में “विस्थापित संघर्ष समिति” का गठन भी किया गया, जो सीसीएल और एमडीओ प्रबंधन के साथ वार्ता कर भू-रैयतों की मांगों को सामने रखेगी। समिति ने चेतावनी दी है कि जब तक उचित मुआवजा और सुविधाएं नहीं दी जातीं, तब तक चंद्रगुप्त कोल परियोजना को शुरू नहीं होने दिया जाएगा।
बैठक में मौजूद रैयतों ने एकजुटता दिखाते हुए कहा कि वे अपने हक से समझौता नहीं करेंगे और अंतिम दम तक संघर्ष जारी रखेंगे।
