संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता, साहिबगंज।
साहिबगंज जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर दूर गंगा किनारे स्थित मंगलहाट का विश्वप्रसिद्ध कन्हैया स्थान (ISKCON मंदिर) जन्माष्टमी पर श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय संगम बना रहा। शनिवार की शाम से लेकर मध्यरात्रि तक चले आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु “जय राधे-कृष्णा”, “हरि बोल”, “हरे राम-हरे कृष्ण” जैसे उद्घोषों से गगनभेदी माहौल बनाते रहे।

देश-विदेश से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
इस पावन अवसर पर न केवल झारखंड बल्कि बिहार, बंगाल, उड़ीसा और आस-पास के राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे। इस्कॉन मंदिर परिसर में रात्रि 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का रुद्राभिषेक, शृंगार और जन्मोत्सव विधिवत संपन्न हुआ। इसके बाद भक्तों के बीच भोग-प्रसाद का वितरण किया गया।
भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां
कार्यक्रम की शुरुआत भक्ति संगीत और कीर्तन से हुई।
नेहा एड डांस ग्रुप, साहिबगंज ने राधा-कृष्ण पर आधारित संस्कृत पारंपरिक नृत्य प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया।

वहीं मालदा (प. बंगाल) से आए भजन मंडली ने “श्री राधे” भक्ति गीत गाकर पूरे वातावरण को भावविभोर कर दिया।

विशेष अतिथि और पूजन-अर्चना

कार्यक्रम का उद्घाटन राजमहल के पूर्व विधायक अनंत कुमार ओझा और तीनपहाड़ मंडल अध्यक्ष सागर मंडल की उपस्थिति में हुआ। मंदिर समिति और संतों ने मिलकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान श्रीकृष्ण का पूजन-अर्चन किया।
इतिहास और आध्यात्मिक महत्व
कन्हैया स्थान को भक्त “गुप्त वृंदावन” के नाम से भी जानते हैं।
लोककथाओं के अनुसार, यहीं पर श्रीकृष्ण ने राधारानी और गोपियों के साथ महारास किया था।
मंदिर परिसर में आज भी श्रीकृष्ण और राधा के चरणचिह्न सुरक्षित माने जाते हैं।
श्री चैतन्य चरितामृत के अनुसार सन् 1505 में चैतन्य महाप्रभु गया से लौटते वक्त यहीं ठहरे थे। तमाल वृक्ष के नीचे उन्हें श्रीकृष्ण के बाल रूप का दर्शन हुआ। महाप्रभु जैसे ही कृष्ण को आलिंगन करना चाहते, वे अंतर्ध्यान हो गए। यही घटना इस स्थल को और पवित्र बनाती है।
आधुनिक स्वरूप
1995 में महंत नरसिंह दास बाबा ने इस स्थल को ISKCON को सौंपा। 1997 में इसे मंदिर के रूप में विकसित किया गया। आज यहां अतिथि भवन, यज्ञ मंडप, गंगा घाट की सीढ़ियाँ और विशाल प्रवेश द्वार भक्तों की सेवा में समर्पित हैं। कन्हैया स्थान का जन्माष्टमी उत्सव न केवल साहिबगंज की धार्मिक पहचान है, बल्कि भारत के कृष्णभक्ति आंदोलन का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां हर वर्ष उमड़ने वाली भीड़ यह प्रमाणित करती है कि कृष्ण के प्रति श्रद्धा और प्रेम की गंगा आज भी पूरे समाज को भक्ति-रस में सराबोर कर रही है।