गुमला – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में गुमला जिले के मत्स्य कृषक ओम प्रकाश साहू की प्रशंसा कर पूरे जिले को गर्व का अवसर प्रदान किया है। प्रधानमंत्री द्वारा साहू के कार्यों की सराहना न केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि है, बल्कि गुमला जिले में जल कृषि क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक बदलावों की राष्ट्रीय मान्यता भी है।
बसिया प्रखंड के कुम्हारी गांव निवासी ओम प्रकाश साहू ने वर्ष 2024 में झारखंड सरकार से चार तालाबों की बंदोबस्ती लेकर मत्स्य पालन की दिशा में कदम बढ़ाया। पहले ठेकेदारी जैसे अस्थिर व्यवसाय से जुड़े साहू ने अब 40 क्विंटल से अधिक मछली उत्पादन कर सालाना 4 से 5 लाख रुपये की आय अर्जित कर एक मिसाल कायम की है। उनकी पत्नी इंदुमती देवी को वर्ष 2023-24 में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत मध्यम आरएएस इकाई का लाभ मिला है, जिससे परिवार को स्थायित्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली है।
गुमला जिले के अन्य मत्स्य किसानों में बसिया प्रखंड के मत्स्य मित्र ज्योति लकड़ा भी उल्लेखनीय हैं। उन्हें हाल ही में राज्य स्तरीय उत्कृष्ट कृषि कार्यों के लिए सम्मानित किया गया है। फिश फीड मिल योजना के तहत मिली सहायता से उन्होंने मछली आहार उत्पादन में भी सफलता पाई है और अब तक 150 से अधिक ग्रामीणों को मत्स्य पालन के लिए प्रेरित किया है। उनका कार्यक्षेत्र न केवल उत्पादन तक सीमित है, बल्कि वे प्रशिक्षण, जागरूकता और सरकारी योजनाओं से जुड़ाव के माध्यम से ग्रामीण आजीविका को मजबूती दे रहे हैं।
जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुम लता के अनुसार, वर्ष 2020-21 से अब तक जिले में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 157 लाभुकों को जोड़ा जा चुका है। जिले में बायो फ्लॉक तालाब, एक्वाकल्चर सिस्टम, ग्रो-आउट तालाब और फिश फीड मिल जैसे नवाचारों को बढ़ावा देकर मत्स्य पालन को एक लाभकारी व्यवसाय में परिवर्तित किया जा रहा है। अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिलाओं को 60 प्रतिशत तथा अन्य को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
नारिकेला पंचायत में चरकी देवी, बबीता देवी और प्रीति देवी जैसे महिला समूहों ने 16 ग्रो-आउट तालाबों का क्लस्टर बनाकर सामूहिक मत्स्य पालन की नई मिसाल कायम की है। यहां लगभग 150 से अधिक मत्स्य किसान विभिन्न योजनाओं से जुड़कर आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हैं।
उपायुक्त प्रेरणा दीक्षित ने प्रधानमंत्री द्वारा जिले के कृषकों की सराहना को “एक ऐतिहासिक उपलब्धि” बताया। उन्होंने कहा, “यह साबित करता है कि जब योजनाओं का धरातल पर सही क्रियान्वयन होता है, तो उसकी गूंज दिल्ली तक पहुंचती है।” उन्होंने नारिकेला के मॉडल को अन्य प्रखंडों में भी विस्तार देने की बात कही।
गुमला जैसे लैंड लॉक जिले में मत्स्य पालन अब न केवल एक आमदनी का साधन है, बल्कि यह कुपोषण उन्मूलन, पोषण सुरक्षा, महिला सशक्तिकरण, और स्वरोजगार के क्षेत्र में मजबूत स्तंभ बन रहा है। आने वाले समय में यह क्षेत्र विदेशी मुद्रा अर्जन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देने वाला साबित हो सकता है।
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