सिद्धू-कान्हू की धरती से पी पेसा की हुंकार: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का संथाल परगना दौरा बना आदिवासी चेतना का केंद्र

शहीदों को श्रद्धांजलि, वंशजों से संवाद और चौपाल में झारखंड सरकार पर प्रहार

झामुमो-कांग्रेस पर तीखा हमला – शहीदों के नाम पर राजनीति, पर वंशजों को भूल गई सरकार

मरांग मरांडी के परिजनों से मिले पूर्व मुख्यमंत्री, हर संभव मदद का दिया भरोसा

कुंदन गुप्ता/मानव दत्ता

संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता।

बरहेट/बोरियो। जिले की ऐतिहासिक भूमि बरहेट स्थित भोगनाडीह और बाबूपुर एक बार फिर राज्य की राजनीति और सामाजिक चेतना के केंद्र में आ गई, जब झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल रघुवर दास ने अपने एक दिवसीय दौरे पर इस क्षेत्र की मिट्टी को नमन किया। यह दौरा केवल एक राजनीतिक उपस्थिति नहीं थी, बल्कि संथाल विद्रोह के अमर शहीदों को श्रद्धा और सम्मान अर्पित करने के साथ-साथ आदिवासी अधिकारों की आवाज बुलंद करने का प्रयास भी था।

भोगनाडीह से शुरुआत: श्रद्धा और स्मरण का संकल्प

बरहेट के भोगनाडीह पहुंचते ही रघुवर दास ने सबसे पहले शहीद सिद्धू-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार पारंपरिक स्वागत के बाद उन्होंने कहा यह धरती सिर्फ मिट्टी नहीं है, यह बलिदान और संघर्ष की जीवंत गाथा है। इन वीरों के कारण ही हम आज स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। इस अवसर पर उन्होंने वंशज परिवार से मुलाकात की और विशेष रूप से बिटिया हेंब्रम के स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने परिवार की आर्थिक स्थिति को गंभीर बताते हुए कहा कि, हमारी सरकार में शहीदों के गांवों के लिए विशेष योजनाएं चलाई गई थीं। आज उन योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, यह आदिवासी अस्मिता का अपमान है। इसके बाद रघुवर दास पहुंचे बाबूपुर स्थित सिद्धू-कान्हू स्मृति स्थल, जहां उन्होंने शहीदों के सम्मान में मौन रखा और स्मारक को नमन किया। यहां वंशजों ने उन्हें बताया कि आज 18 परिवार इस वंश से जुड़े हैं, परंतु मात्र 11 को ही सरकार की ओर से घर आवंटित किए गए हैं। शेष परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, कोई सुनवाई नहीं हो रही। रघुवर दास ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताई और कहा जो सरकार वीरों के नाम पर राजनीति करती है, वह उनके वंशजों के प्रति इतनी उदासीन हो सकती है, यह झारखंड की जनता को जानना चाहिए। मैं इस विषय को राज्य और केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से उठाऊंगा।

सिमड़ा की जन चौपाल: गांव से उठी आवाज

बरहेट प्रखंड के सिमड़ा फुटबॉल मैदान में सिदो कान्हू संथाल आदिवासी ओवार राकाप संगठन द्वारा आयोजित जन चौपाल में हजारों की संख्या में ग्रामीण, महिला-पुरुष, ग्राम प्रधान और जनप्रतिनिधि जुटे। यह चौपाल एक परंपरा नहीं, बल्कि आदिवासी स्वशासन और अधिकारों के पुनर्स्थापन की मुहिम बन गई। मंच से बोलते हुए रघुवर दास ने जोर देते हुए कहा झारखंड में पी पेसा एक्ट को लागू करना सिर्फ कानून की बात नहीं है, यह आदिवासियों की आत्मनिर्भरता और सम्मान की बहाली का सवाल है। जब तक ग्राम सभा को अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक संथाल परगना का विकास नहीं हो सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि पी पेसा एक्ट लागू होने से ग्रामसभा के पास योजनाओं का चयन, कार्य की निगरानी और सामाजिक न्याय का अधिकार होगा। यह लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई को ताकत देने वाला कानून है, जिसे मौजूदा सरकार टाल रही है। झारखंड के 13 आदिवासी बहुल जिलों में यह कानून अगर पूरी सख्ती से लागू हो जाए, तो पंचायत व्यवस्था की औपचारिकता खत्म हो जाएगी और असली स्वशासन शुरू होगा।

बोरियो का भावनात्मक क्षण: मरांग मरांडी के परिजनों को सांत्वना देते हुए

चौपाल के बाद पूर्व मुख्यमंत्री का कारवां बोरियो प्रखंड के हरिंचरा गांव पहुंचा, जहां उन्होंने दिवंगत भाजपा नेता मरांग मरांडी के परिजनों से मुलाकात की। पत्नी सबीना किस्कू और चार बेटियों से बातचीत कर उन्होंने उन्हें हरसंभव मदद देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने मीडिया से कहा मरांग मरांडी जैसे नेता समाज की चेतना थे। उनकी अनुपस्थिति से भाजपा ही नहीं, पूरा संथाल परगना शोक में है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि उनके परिवार को कभी अकेला महसूस न होने दें। पूरे दौरे में पूर्व विधायक रणधीत सिंह, दिनेश विलियम मरांडी, राजमहल पूर्व विधायक अनंत कुमार ओझा, भाजपा जिला अध्यक्ष उज्ज्वल मंडल, बेटका मुर्मू, सलखु सोरेन, रामानंद साह, नरेंद्र शर्मा, मनीष ठाकुर समेत दर्जनों स्थानीय नेताओं ने भाग लिया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने जोरदार नारे लगाए रघुवर दास जिंदाबाद झारखंड का एक ही पुकार रघुवर दास रघुवर दास,पी पेसा लागू करो ग्रामसभा को अधिकार दो के नारे लगाते हुए दिखें।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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