रांची : राजधानी रांची आज स्वाद, स्वास्थ्य और सतत कृषि के अद्भुत संगम की साक्षी बनी, जब नाबार्ड द्वारा आयोजित आम महोत्सव के तीसरे संस्करण का भव्य शुभारंभ झारखंड राज्य सहकारी बैंक, शहीद चौक के प्रधान कार्यालय में हुआ।
इस महोत्सव का उद्घाटन भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक प्रेम रंजन प्रकाश सिंह ने गौतम सिंह, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड; गुरु प्रसाद गोंड, महाप्रबंधक, एसएलबीसी; मदन मोहन बरियार, जेआरजी बैंक अध्यक्ष; बिभा सिंह, अध्यक्षा जेएसटीसीबी; संजय सिंह, सीईओ, जेएसटीसीबी और आम प्रेमियों की उपस्थिति में किया। यह महोत्सव नाबार्ड की वाडी परियोजना के अंतर्गत कार्यरत आदिवासी किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) द्वारा उत्पादित रसायन मुक्त, जैविक आमों को समर्पित है। उद्देश्य है-झारखंड की पारंपरिक और लगभग भूली जा चुकी आम किस्मों को नए बाजारों तक पहुंचाना। इस अवसर पर नाबार्ड, झारखंड के मुख्य महाप्रबंधक गौतम सिंह ने कहा: “ये आम सिर्फ फल नहीं हैं-ये एक पूरी यात्रा की कहानी हैं। यह कहानी है आदिवासी किसानों की, जिन्होंने जैविक खेती अपनाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में सशक्त कदम बढ़ाए हैं। नाबार्ड के सहयोग से बने एफपीओ इन किसानों को बाजार से जोड़ते हैं और यही इस महोत्सव की आत्मा है।” महोत्सव में अमरपाली, मल्लिका, लंगड़ा, मालदा, गुलाबखास और बॉम्बे ग्रीन जैसी बहुचर्चित और स्वादिष्ट किस्मों का प्रदर्शन किया गया, जो झारखंड के 61 वाडी क्लस्रों में बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक के उगाई गई हैं। यह आयोजन केवल एक फल मेला नहीं है, बल्कि एक आर्थिक और सामाजिक क्रांति का मंच है-जहां आदिवासी किसान उद्यमी बनते हैं, एफपीओ बाजार में अपनी पहचान बनाते हैं, और स्वस्थ, सुरक्षित और स्वादयुक्त उत्पादों की ओर बढ़ते उपभोक्ताओं को एक नया विकल्प मिलता है। यह आम हैं, लेकिन खास मकसद के साथ-मिठास भी है, संदेश भी है।
