जगन्नाथ मंदिर का होगा काया कल्प: सीएसआर के तहत 2 करोड़ 11 लाख की लागत से मंदिर सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा
सौरभ राय
संथाल हूल विशेष एक्सप्रेस संवाददाता
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के जगरनाथपुर स्थित आस्था का विशेष केंद्र जगन्नाथ मंदिर का इतिहास बेहद पुराना है। पूरी धाम के बाद रांची का जगन्नाथ मंदिर अपने लोकप्रियता के वजह से जाना जाता है। मंदिर के प्रथम सेवक सुधांशु नाथ शाहदेव बताते हैं कि पूरी स्थित जगन्नाथ मंदिर यानी कि पूरी धाम के बाद रांची के जगन्नाथ मंदिर में रथ यात्रा निकालने की परम्परा जो पूरे देश भर में दूसरे स्थान में आती है। चूंकि आगामी 27जून को रथ यात्रा का त्यौहार मनाया जाएगा इससे पूर्व तैयारी की जा रही है वहीं केंद्रीय रक्ष्या राज्य मंत्री संजय सेठ के प्रयास से सीएसआर के तहत 2 करोड़ 11 लाख की लागत से मंदिर सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाएगा।
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ के द्वारा सीएसआर के तहत 2 करोड़ 11 लाख की रकम मंदिर के लिए उपलब्ध कराई गई*
राजधानी रांची के जगन्नाथ मंदिर अपने आप भव्य और आकर्षक है लेकिन इसका पूरी तरह से सौंदर्यकरण होना अब भी बाकी है। जिसको लेकर रांची सांसद सह केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने अथक प्रयास से सीसीएल द्वारा सीएसआर के तहत 2 करोड़ 11 लाख की राशि मंदिर के समग्र विकास के लिए प्रदान कर दी गई है।
मंदिर परिसर में होंगे यह कार्य:
मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने जानकारी देते हुए बताया कि 2 करोड़ 11 लाख रुपए के राशि के अंतर्गत मंदिर परिसर में विकास कार्य के तहत श्रृद्धालुओं को मिलेंगे यह सुविधाएं:
- बाउंड्री वाल,
- पार्क,
- वाटर फाउंटेन,
- बच्चों के लिए खेलने का स्थान
- शौचालय
- बागवानी
- कियोस्क
- गजीबो
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग
- लाइटिंग
मंदिर के पीछे तालाब का भी होगा सुंदरीकरण*
जगन्नाथपुर मंदिर के पीछे मौजूद तालाब का भी सुंदरीकरण किया जायेगा. यह कार्य डेढ़ करोड़ की लागत से किया जायेगा. तालाब में घाट का निर्माण, लाइट की व्यवस्था, बेंच और तालाब के गहरीकरण के साथ-साथ अन्य कई सुंदरीकरण के कार्य किये जायेंगे।
यह क्षेत्र जल्द ही एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभरेगा- संजय सेठ*
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने जगन्नाथपुर मंदिर के विकास को लेकर कहा कि भगवान जगन्नाथ की कृपा से यह क्षेत्र जल्द ही एक प्रमुख आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभरेगा। उनका कहना है कि यह मंदिर केवल रांची का ही नहीं, बल्कि पूरे झारखंड की एक ऐतिहासिक धरोहर है, जिसका गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। संजय सेठ के बयान बयान से स्पष्ट है कि यह सौंदर्यीकरण कार्य केवल एक निर्माण परियोजना नहीं है, बल्कि क्षेत्रीय संस्कृति, धार्मिक आस्था और पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वर्ष 1691 में जगन्नाथपुर
मंदिर का निर्माण ठाकुर अनिनाथ शाहदेव द्वारा दिया गया था*
ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव बताते हैं बड़कागढ़ जगन्नाथपुर के राजा ठाकुर अनि नाथ शाहदेव वर्ष 1691 में रांची में जगन्नाथपुर मंदिर का निर्माण करवाया था। पूरी के तर्ज पर ही यहां भी प्रभु जगरनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। रथ यात्रा के दिन लाखों लाख लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं।
11 जून को स्नान यात्रा के बाद प्रभु जगरनाथ जायेंगे एकांत वास में*
रथ यात्रा की तैयारी जोरो शोरों से है इसी कड़ी में सुधांशु नाथ शाहदेव ने जानकारी पूजा की प्रक्रिया को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 11 जून को प्रभु की स्नान यात्रा कराई जाएगी। पौराणिक कथाओं के अनुसार अधिक स्नान करने से प्रभु के स्वास्थ्य खराब होती है जिस कारण 15 दिनों के लिए वोह एकांत वास में चले जाते हैं।
27जून को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी*
प्राप्त जानकारी के अनुसार पूरे 15 दिनों के एकांत वास के बाद भगवान जगन्नाथ 26जून को वापस अपने भक्तों को दर्शन देंगे इसी दिन प्रभु का नेत्र उत्सव मनाया जाता है इसके अगले दिन यानी कि 27 जून को आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष द्वितीय को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी।
जिला प्रशासन और जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति द्वारा संयुक्त रूप से तैयारी की जा रही है*
जगन्नाथपुर मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने बताया प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला प्रशासन और जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति द्वारा संयुक्त रूप से रथ यात्रा की तैयारी की जा रही है। जिला प्रशासन के अंतर्गत तमाम विभागों के साथ एक बैठक भी किया जायेगा । भक्तों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी की व्यवस्था भी होगी इसके साथ जिला पुलिस बल के जवान एवम मंदिर कमिटी के स्वयंसेवकों की मौजूदगी रहेगी। अग्निमिशन की गाड़ी एवम सदर अस्पताल के सिविल सर्जन द्वारा शिविर भी लगाई जाएगी।
6 जुलाई को घूरती रथ के साथ रथ यात्रा का समापन होगा*
बता दे 5 जुलाई को गुंडीचा भोग है जिसमें कहा जाता है मां लक्ष्मी और गुंडीचा दोनों मिलकर भोग बनाते हैं और प्रभु जगरनाथ को अर्पित करते हैं। 6 जुलाई को घूरती रथ है सैन्य एकादशी का दिन है इस दिन महाप्रभु पुनः अपने श्री मंदिर गर्भ गृह में विराजमान होंगे।
