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अगर अब नहीं जगे, तो नस्लें हो जाएंगी तबाह : गौतम कुमार

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इचाक में उगता ‘सफेद मौत’ का सूरज

दर्जनों गांव बने नशे का गढ़

3500 युवा तबाही की राह पर

कुमार विषेक विद्यार्थी

हजारीबाग : जिले के इचाक गांव की गलियों में अब बच्चों की हँसी नहीं, सन्नाटे में बूटों की आहट है। इचाक प्रखंड का लगभग 100 गांव सफेद ज़हर की गिरफ्त में कराह रहा है और पूरा प्रशासन तमाशबीन ड्रग्स का कहर अब सिर्फ़ शहरों की कहानी नहीं रही, इचाक जैसे ग्रामीण इलाके भी अब इसके चपेट में हैं। झारखंड के हजारीबाग ज़िले का ये इलाका आज ज़िंदा लाशों की बस्ती बन चुका है। नशे के जाल में उलझे लगभग 3500 युवा, जिनका ना कोई भविष्य बचा है, ना ही आत्मा। चपरख, हदारी, बारीयठ, गुंजा, सिझुआ, दांगी, डुमरौन, बरका कला, बरका खुर्द, रतनपुर, जोगीडीह, मगूरा, करियातपुर, जमुआरी, असिया, अलोंजा कला, अलोंजा खुर्द व बोंगा गांव में हालात सबसे भयावह हैं। एक वक़्त जो खेतों में हल चलाने वाले हाथ थे, वो अब सिरिंज और पाउडर के पीछे भागते हैं। नशे के आदी युवा माँ-बाप को पीटते हैं, बहनों को डराते हैं, और पड़ोसियों के लिए आतंक बन गए हैं। परिजन बेहाल हैं, कई तो अपने ही बच्चों को जेल भिजवाने की अर्ज़ी देना चाहते हैं। नशा मुक्ति केंद्रों की महंगी फीस उनके लिए अगली मुसीबत है। समाज का ढांचा दरक रहा है, कई घरों से जेवर बिक चुके, बहनों की शादी रुक चुकी है लेकिन नशेड़ियों को इन सबसे कोई लेना देना नहीं है। इधर ड्रग्स का धंधा फल-फूल रहा है। एक सप्लायर ने इचाक मोड में आलीशान कोठी खड़ी कर ली है है, जिसकी दीवारें युवाओं की बर्बादी से गाढ़ी हुई कमाई से बनी हैं। आदर्श युवा संगठन के अध्यक्ष व समाजसेवी गौतम कुमार चेतावनी देते हैं कि अगर अब नहीं जगे, तो नस्लें तबाह हो जाएंगी। गांव नहीं बचेगा, संस्कृति नहीं बचेगी। इचाक क्षेत्र मे 100 से ज्यादा पेडलर सक्रिय है। प्रत्येक माह चार से पांच करोड़ का कारोबार हो रहा। इस धंधे मे कई सफ़ेद पोश व खाकी वर्दी संलिप्त है.उन्होंने युवाओं से आह्वान किया है कि अब नारे नहीं, आंदोलन चाहिए। ये लड़ाई नशे से नहीं, पूरी व्यवस्था से है। समय कम है। या तो सड़कों पर उतरिए, या फिर अपने बच्चों को कब्र तक जाने दीजिए। ये गंदा है, पर अब धंधा नहीं, क़त्लगाह बन चुका है।

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