पाकुड़, झारखंड: पाकुड़-मालपहाड़ी सड़क पर स्थित ‘मुख्यमंत्री दाल भात’ योजना केंद्र की वर्तमान दयनीय स्थिति ने स्थानीय मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल दिया है। यह योजना, जो गरीबों को सस्ते में भोजन उपलब्ध कराने का उद्देश्य रखती है, अब इस जर्जर इमारत में खतरे का सबब बन गई है।
स्थानीय मजदूरों के लिए भोजन की गुणवत्ता उच्च मानक पर है, लेकिन क्या केवल भोजन की गुणवत्ता ही पर्याप्त है? इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि क्या भोजन के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक स्थान होना प्राथमिकता नहीं है। दिहाड़ी मजदूरों का जीवन पहले से ही कठिनाइयों में घिरा हुआ है, और ऐसे में उन्हें असुरक्षित स्थान पर भोजन करने के लिए मजबूर होना एक चिंता का विषय है।
गर्मी के मौसम में, मजदूरों को पसीने से तरबतर होकर भोजन करना पड़ रहा है, क्योंकि सरकार इस केंद्र पर पंखे और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने में असमर्थ है। यह स्थिति न केवल मानवीय गरिमा के खिलाफ है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं।
स्थानीय निवासियों और मजदूरों ने प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि भोजन के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ स्थान उपलब्ध कराया जा सके। इस मामले में उचित कदम उठाना न केवल मजदूरों की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, बल्कि उनकी गरिमा और सम्मान को भी बहाल करना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वह अपनी प्राथमिकताओं में इस विषय को शामिल करे और सुनिश्चित करे कि हर वर्ग के लोगों को न केवल गुणवत्ता वाला भोजन मिले, बल्कि उन्हें भोजन करने के लिए एक सुरक्षित और सुविधाजनक स्थान भी प्राप्त हो। नहीं तो, यह स्थिति भविष्य में किसी गंभीर हादसे का कारण बन सकती है, जिससे कई मजबूर मजदूरों की जीवन लीला समाप्त हो सकती है।
