पाकुड़ के हरिणडांगा मध्य विद्यालय में गंदगी का अंबार: शिक्षा पर गंभीर प्रभाव

पाकुड़: हरिणडांगा पश्चिमी पाकुड़ स्थित मध्य विद्यालय के मुख्य द्वार पर फैली गंदगी ने विद्यालय के शैक्षणिक माहौल को संकट में डाल दिया है। इस कूड़े-कचरे से उठती दुर्गंध न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए असहनीय हो गई है, बल्कि इससे उनके स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

स्वच्छता का संकट:

विद्यालय के प्रवेश द्वार पर जमा कूड़ा-कचरा और वहां से उठने वाली बदबू शिक्षा के एक स्वस्थ वातावरण को हल्का नहीं होने दे रही है। छोटे बच्चों को इस दूषित वातावरण में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। कूड़े के ढेर से मच्छरों और अन्य कीटाणुओं के पनपने के कारण विभिन्न बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है।

स्थानीय समुदाय की चिंताएं:

स्थानीय निवासियों और छात्रों के अभिभावकों ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि “विद्यालय शिक्षा का मंदिर होता है,” और स्कूल के मुख्य द्वार पर इस तरह की गंदगी प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है। लोग प्रशासन के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए कह रहे हैं कि इस समस्या का तुरंत समाधान किया जाना चाहिए।

शिक्षकों की प्रतिक्रियाएं:

विद्यालय के शिक्षकों ने भी इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका मानना है कि दुर्गंध के कारण छात्रों का ध्यान पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। शिक्षकों ने कहा कि ऐसे माहौल में बच्चों की बुनियादी शिक्षा और मानसिक विकास दोनों को गंभीर खतरा है।

आगामी कार्रवाई की उम्मीद:

स्थानीय लोग, अभिभावक और शिक्षक सभी एकजुट होकर प्रशासन और शिक्षा विभाग से मांग कर रहे हैं कि वे इस घातक स्थिति का समाधान करें और विद्यालय परिसर तथा उसके आसपास की सफाई सुनिश्चित करें। उनका लक्ष्य है कि छात्रों को एक स्वच्छ, सुरक्षित और स्वस्थ शैक्षणिक वातावरण प्रदान किया जा सके, ताकि वे अपनी पढ़ाई में सजग रह सकें और बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर हो सकें।

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