पाकुड़: पाकुड़ सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है, जहां जलमीनार की खराब स्थिति ने मरीजों, विशेषकर छोटे बच्चों के लिए अनेक समस्याओं को जन्म दिया है। अस्पताल के मुख्य द्वार पर स्थित जलमीनार, जो कि पहले जलापूर्ति का प्रमुख स्रोत था, आज अनुपयोगी होकर खड़ा है। भीषण गर्मी के इस दौर में, पानी की कमी ने बच्चों की हालत को और बिगाड़ दिया है।
पैरेंट्स की परेशानियाँ: पानी के लिए भटकना
बुधवार को अस्पताल में भर्ती कई छोटे बच्चे, जो पेशेवर बीमारियों का सामना कर रहे हैं, पीने के पानी की खातिर परेशान दिखे। मरीजों के परिजनों ने बताया कि उन्हें पानी के लिए अस्पताल परिसर में इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। एक मरीज के परिजन ने कहा, “हमने कई बार अस्पताल प्रशासन को हकीकत बताई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बच्चों की पानी की कमी से हालत और बदतर हो रही है।”
स्वास्थ्य व्यवस्था में खामियाँ
अस्पताल के प्रवेश द्वार के सामने खड़ी जलमीनार की स्थिति स्वास्थ्य विभाग की लापरवाहियों का एक और उदाहरण है। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यदि समय पर जलमीनार की मरम्मत कर दी जाती, तो इस प्रकार की स्थिति से बचा जा सकता था। यह समस्या केवल जलमीनार की नहीं, बल्कि जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियों को भी उजागर करती है।
जिला प्रशासन की उदासीनता
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। आने वाले समय में कब इस जलमीनार की मरम्मत होगी और कब बच्चों एवं उनके परिजनों को पानी जैसी बुनियादी सुविधा मिलेगी, यह एक बड़ा सवाल है।
समाधान की आवश्यकता
पाकुड़ सदर अस्पताल में जल संकट को लेकर मरीजों और उनके परिजनों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से तत्काल समाधान की मांग की है। एक ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि अनावश्यक परेशानियों से बचा जा सके और अस्पताल में भर्ती बच्चों को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।
