संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
रांची: नए वक्फ बोर्ड पे लाए गए कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है इसपर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक बयान दे दिया है जो चर्चा का विषय बन चुकी हैं। इसी कड़ी में पूर्व मंत्री,एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि ध्रुवीकरण और सभी धर्म, जाति, समुदाय के लोगों के बीच भेदभाव को बढ़ावा देना ही भारतीय जनता पार्टी और केन्द्र सरकार की मौलिक नीति बनती जा रही है जो भाजपा और आरएसएस की विचारधारा है. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय पर धार्मिक युद्ध भड़काने के सांसद निशिकांत दुबे के आरोप की तीखी आलोचना करते हुए श्री तिर्की में कहा कि अपने विरोधाभासी और आधारहीन बयानों, संवैधानिक प्रावधानों की गलत व्याख्या और भाषाई उत्तेजना के बलबूते श्री दुबे मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी का न तो बचाव कर सकते हैं और ना ही वे भारतीय न्यायपालिका पर आक्रमण कर सकते हैं. श्री तिर्की ने कहा कि भारत का इतिहास और हमारा मौलिक स्वभाव, संवेदना, सहिष्णुता और परस्पर मैत्री का है जहाँ सभी धर्म के लोगों के बीच में परस्पर सद्भाव है और एक-दूसरे के धर्म या धार्मिक परंपराओं को सम्मान के साथ देखना हमारी पहचान है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारा संविधान भी इसी भावना से प्रेरित है और संविधान सभा के सदस्यों ने कभी भी इस बात की कल्पना नहीं की होगी कि एक समय ऐसी स्थिति आ जायेगी जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान के पक्ष में कही गयी बातों और उसके आधार पर लिये गये निर्णय का सरकार, सरकार के सदस्यों और मूलतः कार्यपालिका के द्वारा ऐसी तीखी आलोचना की जायेगी जो हमारी लोकतांत्रिक जड़ों को कमजोर करने का काम करेगी.
श्री तिर्की ने कहा कि भारत धर्मनिरपेक्ष देश है और संविधान से ऊपर कोई भी नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 53 के अनुसार राष्ट्रपति को जो जिम्मेदारी सौपी गयी है उसका निर्वहन उन्हें करना है वहीं दूसरी ओर सर्वोच्च न्यायालय भी वह संवैधानिक संस्थान है जिसके ऊपर निष्पक्षता से हमारे संविधान के अनुपालन की जिम्मेदारी है. श्री तिर्की ने कहा कि इस मूल संवैधानिक भावना से उलट जिस प्रकार से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकर ने जिन शब्दों में सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना की है और उसके बाद किरण रिजीजू, मनन मिश्रा, निशिकांत दुबे एवं अन्य कुछ एक मंत्रियों, सांसदों एवं नेताओं के द्वारा जैसे वक्तव्य दिये जा रहे हैं उससे यह स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा उकसावे की कार्रवाई की जा रही है जिससे न केवल भारतीय लोकतंत्र की जड़े कमजोर होगी बल्कि यह सर्वोच्च न्यायालय और हमारे संविधान को आघात पहुँचाने की कोशिश है जो कभी भी सफल नहीं हो सकती.