पाकुड मे “जल ही जीवन” का नारा बेअसर गर्मी के दस्तक के साथ ही मचने लगा हाहाकार
पड़ताल
पाकुड़: सरकारी प्रयासों और वाक्यों के बावजूद “जल ही जीवन” का नारा पाकुड़ सदर अस्पताल में वास्तविकता के विपरीत नजर आ रहा है। खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन और सरकार डीएमएफटी (जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट) के माध्यम से करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन अस्पताल में पानी की घातक कमी स्थिति को और अधिक गंभीर बना रही है।
अस्पताल के परिसर में पेयजल नल अक्सर सूखे पाए जाते हैं, जिससे मरीजों और उनके परिजनों को पानी के लिए भटकना पड़ता है। विशेष रूप से गर्मी के इस मौसम में, जब पानी की आवश्यकता सबसे अधिक होती है, यह समस्या और भी भयावह हो जाती है। अस्पताल के प्रवेश द्वार पर लगा जलमीनर भी निष्क्रिय पड़ा है और इसे देख कर ऐसा प्रतीत होता है कि यहां की पेयजल व्यवस्था खराब स्थिति में है।
स्थानीय निवासियों और मरीजों के परिजनों का कहना है कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन से कई बार पानी की कमी की शिकायत की, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई। यह समस्या न केवल मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक बड़ी असुविधा है, बल्कि अस्पताल की छवि को भी नुकसान पहुँचा रही है।
डीएमएफटी का मुख्य उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाना है। यदि पाकुड़ सदर अस्पताल में पेयजल की व्यवस्था में इस प्रकार की कमी हो रही है, तो अन्य क्षेत्रों की स्थिति का मूल्यांकन करना आवश्यक है।
जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस गंभीर समस्या की ओर तात्कालिक ध्यान देने की आवश्यकता है। पेयजल व्यवस्था की नियमित निगरानी और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि मरीजों और अस्पताल आने वाले लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके।
“जल ही जीवन” के नारे को वास्तविकता में बदलने के लिए ये आवश्यक कदम उठाने वक्त की मांग है।