🌹 साहित्य के शिल्पी, विचारों के योद्धा — श्री कन्नदासन
आज साहित्य जगत उस महान कवि, दार्शनिक और विचारक श्री कन्नदासन जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है।
तमिल साहित्य में उन्हें सुब्रमण्यम भारती के बाद सबसे महान आधुनिक कवि माना जाता है।
उनकी लेखनी ने न केवल तमिल भाषा को नई पहचान दी, बल्कि आम आदमी के जीवन, उसकी पीड़ा, संघर्ष और सपनों को शब्दों में साकार किया।
✍️ जीवन परिचय और योगदान
श्री कन्नदासन का जन्म 24 जून 1927 को तमिलनाडु के शोलवंदन गाँव में हुआ था।
उनका असली नाम मुथैया था, लेकिन बाद में उन्होंने “कन्नदासन” नाम अपनाया, जिसका अर्थ है — “कन्नन (भगवान कृष्ण) का सेवक।”
उनका साहित्यिक जीवन कविता, उपन्यास, गीत, निबंध और दार्शनिक लेखन का अद्भुत संगम था।
उन्होंने 5000 से अधिक गीत, 6000 कविताएँ और 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं — जो प्रेम, आध्यात्म, दर्शन और सामाजिक चेतना से ओत-प्रोत हैं।
उनकी कविताएँ मानवता की सच्ची भावना और तमिल संस्कृति की आत्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं।
🎬 सिनेमा और साहित्य का सेतु
कन्नदासन जी न केवल एक साहित्यिक व्यक्तित्व थे, बल्कि उन्होंने तमिल सिनेमा के लिए हजारों गीतों की रचना की।
उनके गीतों में दर्शन और भावनाओं का ऐसा संतुलन था कि वे सीधे दिल को छू जाते थे।
“संगीत और शब्दों के माध्यम से समाज को जगाने” की उनकी क्षमता ने उन्हें हर वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाया।
🕊️ दार्शनिक दृष्टिकोण
उनकी लेखनी का मूल भाव था — “मनुष्य अपने कर्म और विचार से ईश्वर के समीप पहुँचता है।”
उन्होंने धर्म, आस्था और आत्मबोध पर गहन चिंतन किया।
उनकी प्रसिद्ध पुस्तक “आर्थी” (Arthamulla Hindu Matham) हिंदू दर्शन की व्याख्या करने वाली तमिल साहित्य की कालजयी कृति मानी जाती है।
💬 साहित्यकारों की श्रद्धांजलि
तमिल साहित्यकारों और कलाकारों ने आज उन्हें याद करते हुए कहा —
“कन्नदासन केवल कवि नहीं, बल्कि तमिल आत्मा की आवाज़ थे।
उन्होंने शब्दों के माध्यम से समाज को सोचने, समझने और आत्ममंथन करने की दिशा दी।”
श्री कन्नदासन जी ने दिखाया कि साहित्य केवल भावनाओं का नहीं, बल्कि जागरूकता और चेतना का माध्यम है।
उनकी रचनाएँ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।
संथाल हूल एक्सप्रेस परिवार उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा और नमन अर्पित करता है —
“शब्दों के उस अमर साधक को कोटि-कोटि प्रणाम।”