“तुला संक्रांति: सूर्य के तुला राशि में प्रवेश का शुभ पर्व”


🌞 तुला संक्रांति क्या है?

भारतीय पंचांग के अनुसार जब सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तब उस दिन को “तुला संक्रांति” कहा जाता है। इसे कई स्थानों पर कार्तिक संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, क्योंकि इसी समय से कार्तिक मास का शुभारंभ होता है, जिसे धार्मिक दृष्टि से सबसे पुण्यकारी महीनों में गिना जाता है।


🌄 धार्मिक महत्व

तुला संक्रांति का संबंध सूर्य उपासना और दान-पुण्य से गहराई से जुड़ा है। इस दिन श्रद्धालु स्नान, सूर्य अर्घ्य और दान का विशेष विधान करते हैं। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है।

इस दिन गंगा स्नान, तुलसी पूजा, और दीपदान का विशेष महत्व है। कार्तिक मास में किया गया एक छोटा-सा दान भी सौ गुना फल देता है, ऐसा धर्मशास्त्रों में उल्लेख है।


🌾 कृषि और सामाजिक दृष्टि से महत्व

तुला संक्रांति का समय खरीफ फसलों की कटाई और रबी फसलों की बुवाई के बीच का संक्रमण काल है। ग्रामीण भारत में इसे फसल के आभार पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
किसान इस दिन प्रकृति, सूर्य और भूमि का आभार प्रकट करते हैं — क्योंकि यही तीनों उनके जीवन और आजीविका का आधार हैं।


🕉️ झारखंड और संथाल परगना में परंपरा

झारखंड के कई इलाकों, विशेषकर संथाल परगना में यह दिन पारंपरिक रूप से पूजा-पाठ और सामाजिक मेलजोल के साथ मनाया जाता है।
लोग नदी या तालाब में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं और फिर घरों में तिल, गुड़, और धान से बने व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

कई जगहों पर स्थानीय हाट-बाजारों में मेले भी लगते हैं, जहाँ ग्रामीण अपने उत्पादों की बिक्री करते हैं और एकता का संदेश फैलाते हैं।


💫 आध्यात्मिक संदेश

तुला संक्रांति हमें संतुलन और समरसता का संदेश देती है — जैसे तुला (तराजू) संतुलन का प्रतीक है, वैसे ही यह पर्व जीवन में संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
यह हमें बताता है कि दान, सेवा और संयम के द्वारा ही जीवन में सच्चा प्रकाश प्राप्त होता है।

तुला संक्रांति केवल खगोलीय परिवर्तन का दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति, सामाजिक एकता और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक पर्व है।
इस शुभ अवसर पर हम सभी सूर्य देव से प्रार्थना करें कि वे हमें ज्ञान, ऊर्जा और समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर करें।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

Leave a Comment