जन-जन के प्रेरणास्रोत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम — एक युग, एक विचार, एक विरासत

मोहम्मद शहीद अनवर की कलम से

आज भारत के महान वैज्ञानिक, विचारक और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती है। वो व्यक्तित्व, जिन्होंने देश को मिसाइल तकनीक से आत्मनिर्भर बनाया और करोड़ों युवाओं के दिलों में सपनों की चिंगारी जलाई। सादगी, समर्पण और सत्यनिष्ठा के प्रतीक डॉ. कलाम आज भी हर भारतीय के प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

सपनों को सच करने वाला वैज्ञानिक

आज भारत अपने महान सपूत डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को नमन कर रहा है। वह न केवल देश के 11वें राष्ट्रपति थे, बल्कि ऐसे वैज्ञानिक भी, जिन्होंने भारत को मिसाइल और परमाणु शक्ति के क्षेत्र में नई पहचान दी। 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे कलाम साहब का जीवन इस बात का प्रमाण है कि गरीबी, संघर्ष और सीमित संसाधन भी किसी व्यक्ति के सपनों को नहीं रोक सकते, अगर उसके भीतर दृढ़ निश्चय और कर्म की शक्ति हो।

संघर्ष से सफलता तक की प्रेरक यात्रा

एक साधारण परिवार से निकलकर, अखबार बेचने वाले छोटे से बालक का देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचना यह कहानी सिर्फ प्रेरणा नहीं, बल्कि आधुनिक भारत का इतिहास है। कलाम साहब ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और इसके बाद डीआरडीओ और आईएसआरओ में अपने वैज्ञानिक करियर की शुरुआत की। उनकी मेहनत, लगन और दूरदृष्टि ने भारत को अंतरिक्ष और रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बना दिया।

मिसाइल मैन की पहचान

भारत की मिसाइल तकनीक में क्रांति लाने का श्रेय डॉ. कलाम को ही जाता है। उन्होंने अग्नि, पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश और नाग जैसी मिसाइलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के दौरान उनकी वैज्ञानिक और रणनीतिक समझ ने भारत को परमाणु सम्पन्न राष्ट्रों की पंक्ति में ला खड़ा किया। यह वह क्षण था, जब भारत ने आत्मविश्वास और वैज्ञानिक प्रगति की नई परिभाषा लिखी।

जनता के राष्ट्रपति — सादगी की मिसाल

राष्ट्रपति पद पर रहते हुए डॉ. कलाम ने राजनीति नहीं, बल्कि जनसेवा की नई परंपरा शुरू की। वो जनता के राष्ट्रपति के रूप में जाने गए, क्योंकि उन्होंने हमेशा जनता से संवाद किया, बच्चों से मुलाकात की, और शिक्षा को राष्ट्रनिर्माण का सबसे बड़ा साधन बताया। उनकी सादगी इतनी थी कि पद छोड़ने के बाद उनके पास न कोई संपत्ति थी, न निजी गाड़ी, बस देशप्रेम और लोगों का स्नेह ही उनकी पूंजी थी।

युवा शक्ति में अटूट विश्वास

डॉ. कलाम हमेशा कहा करते थे कि “सपना वो नहीं जो आप नींद में देखते हैं, सपना वो है जो आपको सोने नहीं देता।” उनका मानना था कि भारत का भविष्य उसके युवाओं के हाथों में है। उन्होंने जीवन भर युवाओं को विज्ञान, नवाचार और नैतिकता के रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। उनका “विज़न 2020” इसी विचार पर आधारित था, एक सशक्त, शिक्षित और आत्मनिर्भर भारत का सपना।

विरासत जो अमर है

डॉ. कलाम का जीवन केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि एक युग की दिशा है। वह ऐसे नेता थे जिनका कोई विरोध नहीं था। क्योंकि उनकी सोच में राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्रहित बसता था। उनकी किताबें “विंग्स ऑफ फायर”, “इग्नाइटेड माइंड्स” और “इंडिया 2020” आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करती हैं। उनका जाना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति थी, लेकिन उनका विचार आज भी हर दिल में धड़कता है।

कलाम का संदेश, हमेशा अमर रहेगा

डॉ. कलाम ने हमें सिखाया कि “आसमान की ऊँचाई छूने के लिए ज़मीन से जुड़े रहना जरूरी है।”
उनकी जयंती केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि आत्मचिंतन का अवसर है कि क्या हम उनके सपनों के भारत की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं? नमन उस महान आत्मा को, जिसने अपनी प्रतिभा से भारत का मस्तक ऊँचा किया और अपने विचारों से करोड़ों दिलों को छुआ।

लेखक संथाल हूल एक्सप्रेस ज़िला संवाददाता एवं वार्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया झारखंड इकाई प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य हैं।

Bishwjit Tiwari
Author: Bishwjit Tiwari

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