दिन में केवल 2 से 3 घंटे बिजली, बाकी समय अंधेरे में डूबा रहता है गांव
संथाल हूल एक्सप्रेस संवाददाता
हजारीबाग : दारू प्रखंड में इन दिनों बिजली संकट इतना भयावह रूप ले चुका है कि ग्रामीणों का जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। कभी झारखंड में 24 घंटे बिजली देने के दावे करने वाली सरकारें अब यहां के गांवों में 24 घंटे में सिर्फ 2 से 3 घंटे बिजली दे पा रही हैं। गांवों की गलियों से लेकर खेतों तक हर कोई बिजली की कमी से परेशान है। स्थिति यह है कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर किसानों की सिचाई और घरेलू कामकाज तक ठप पड़ गया है। बारिश का मौसम आमतौर पर लोगों के लिए राहत लेकर आता है। तापमान गिरने से उमस और गर्मी से निजात मिलती है। लेकिन इस बार बरसात ने लोगों को राहत तो दी मगर बिजली विभाग की लापरवाही के कारण ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। रोस्टर के अनुसार बिजली आपूर्ति के दावे हवा हवाई हो रहे हैं। दारू प्रखंड में अघोषित बिजली कटौती का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जब जेई कृष्णा बालमुचू से बात हुआ तो बोले कि 33000 का इन्सुलेटर पंचर हो गया हैं जेई खुद कर्मी के साथ में लगे हुए हैं। संथाल हूल, एक्सप्रेस के संवाददाता ने जब इस अघोषित बिजली कटौती को लेकर लोगों से बात की तो सभी का दर्द छलक पड़ा। बारिश के बाद तापमान में कमी आने से भले ही बिजली की मांग कम हो गई हो लेकिन अघोषित बिजली कटौती का सिलसिला अब भी जारी है। ग्रामीण इलाकों में भी लोग लगातार हो रही बिजली कटौती से परेशान हैं। जिससे उनका दैनिक जीवन और व्यवसाय दोनों प्रभावित हो रहे हैं। खास तौर पर दारू प्रखंड में मामूली हवा चलने पर भी बिजली काट दी जाती है और शहरी क्षेत्रों में भी बारिश के दौरान बिजली कटौती एक आम समस्या बन गई है। हालत इतनी खराब हो गई है कि ग्रामीण अब बिजली विभाग और प्रखंड प्रशासन के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। क्षेत्रीय जनता का कहना है कि प्रशासन को कई बार इस समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, समाधान नहीं।
दिनभर बिजली नदारद, रात में भी आती है झपकी भर को
दारू प्रखंड के अधिकांश गांवों में स्थिति एक जैसी ही है। दिनभर बिजली का कोई अता-पता नहीं गलती से आ भी जाए तो आधा घंटा से ज्यादा नहीं रहता और अगर रात में आती भी है तो सिर्फ एक से दो घंटे के लिए। कई बार तो बिजली की अनियमितता इतनी अधिक हो जाती है कि इन्वर्टर भी चार्ज नहीं हो पाते। इसके कारण रात के अंधेरे में परिवारों को मोमबत्ती और लालटेन का सहारा लेना पड़ता है।
बिजली की मार हर वर्ग पर
बिजली संकट से हर वर्ग प्रभावित है, लेकिन सबसे अधिक असर बच्चों, किसानों और महिलाओं पर पड़ा है। बच्चे बिजली न होने की वजह से रात में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। किसान खेतों में सिचाई नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि अधिकतर मोटर पंप बिजली से चलते हैं। घरेलू महिलाएं दिनभर अंधेरे में चूल्हा-चौका संभाल रही हैं। छोटे व्यवसायी भी ग्राहकों के अभाव से जूझ रहे हैं क्योंकि फ्रीज, मशीन, पंखा कुछ भी नहीं चल पा रहा।
प्रशासनिक उदासीनता ने बढ़ाई परेशानी
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि हर बार जवाब मिलता है लाइन में दिक्कत है, सब स्टेशन में सुधार हो रहा है, पावर कट ऊपर से हो रहा है, लेकिन जमीन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। जब इस संबंध में बिजली विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई तो वे टालमटोल करते नजर आए। न तो वे समस्या की गंभीरता स्वीकारते हैं और न ही समाधान का कोई ठोस आश्वासन देते है।
ग्रामीणों का धैर्य अब जवाब दे रहा है
इन हालात में ग्रामीणों का धैर्य टूटने की कगार पर है। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। कई गांवों में अब ग्रामीण संगठनों द्वारा बैठकें की जाने के योजना बन रही हैं। कुछ लोगों ने बिजली विभाग का घेराव करने की भी चेतावनी दी है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया गायब
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इस गंभीर मुद्दे पर अभी तक किसी भी स्थानीय जनप्रतिनिधि, विधायक या सांसद, जिला परिषद, प्रमुख की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। चुनाव के समय बिजली के बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता अब चुप्पी साधे हुए हैं। जनता सवाल कर रही है कि अब हमारी सुनवाई कौन करेगा?